SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 191
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १६० च - खलपुणो, खलपुस्स पं० – खलपुणो, खलपुत्तो, खलपूओ खलपूर, खलपूर्हितो अभिनव प्राकृत व्याकरण छ० - खलपुणो, खलपुस्स स० - खलपुम्मि, खलपु सि सं०-हे खलपू एकवचन प० – सयंभू दीर्घ ऊकारान्त सयंभू (स्वयम्भू ) शब्द बहुवचन सभवो, सयंभर, सभओ, सयंभुणी, सभू बी० - सयंभुं तसभुणा च० - सयंभुणो, सयंभुस्स पं० -- सयंभुणो, सयंभुत्तो, सयंभूओ, भू, सयंभूद्दितो छ० - सयंभुणो, सयंभुस्स स० – सयंभुमि, सयंभु सि सं० - हे सयंभु - खलपूर्ण, खलपूर्ण खलपुत्तो, खलपूओ, खलपूर, खलपूर्छितो, खलपूसंतो खलपूण, खलपूर्ण खलपूसु, खलपू सु हे खपवो, हे खलप हे खलपओ, हे खलपुणो, हे खलपू १. श्रारः स्यादौ – ८ । ३।४५ हें० । २. ऋतामुदस्य मौसुवा - ८।३।४४ हे० | भुणो, सभू भू, भूसभूहिं सभूण, सयंभूणं सयंभुत्तो, सयंभूओ, सयंभूउ, सयंभूहितो, सयंभू संतो भूण, भू सयंभू, सयंभू हे सभवो, सयंभ, सयंभओ, भुसभू ऋकारान्त पुल्लिंग शब्द (२२) ऋकारान्त शब्दों के आगे किसी भी विभक्ति के आने पर अन्त्य ऋ के स्थान पर 'आर' आदेश होता है और उसके रूप अकारान्त शब्दों के समान चलते हैं। ३ 1 ( २३ ) सु और अम् को छोड़कर शेष सभी विभक्तियों में ऋकारान्त शब्द के अन्त्य ऋ के स्थान में विकल्प से उकार होता है । उत्वपक्ष में उकारान्त शब्दों के समान रूप होते हैं।
SR No.032038
Book TitleAbhinav Prakrit Vyakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorN C Shastri
PublisherTara Publications
Publication Year1963
Total Pages566
LanguageHindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size28 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy