SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 177
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १४६ अभिनव प्राकृत-व्याकरण आयरिओ<आचार्य: खत्तियो< क्षत्रियः उवज्झायो< उपाध्यायः पढ< पठन् अय्य धीवर <धीवरो कुंभआरोद कुम्भकार: सुवण्णआरोदस्वर्गकारः बालओ< बालकः पुरिसोर पुरुष: किन्नरोकिन्नरः माहणो ब्राह्मणः गोवो< गोप: मऊरो< मयूरः पिओ< पिता भाया<भ्राता कच्छवो कच्छपः सुत्तगारो< सूत्रकारः वुत्तिगारो< वृत्तिकार: सीसो< शिष्य: हत्थिर हस्तिः सेट्टि< श्रेष्ठी गंधिओ< गन्धिकः पइ< पति: नडो< नट: चन्दमुहो< चन्द्रमुख: पीवरो< पोवरः इंदोर इन्द्रः गोवालओ<गोपालक: कामुओ८ कामुकः -- आयरिआणी, आयरिआ< आचार्यानी, आचार्या खत्तिया,खत्तियाणी< क्षत्रिया,क्षत्रियाणी उवझाया, उवज्झायाणी< उपाध्याया, उपाध्यायानी पढन्ती< पठन्ती अज्जआ धीवरी<धीवरी कुंभआरी<कुम्भकारी सुवण्णआरी स्वर्णकारी बालिआ<बालिका इत्थी< स्त्री किन्नरी< किन्नरी माहणी< ब्राह्मणी गोवी< गोपी; गोवा < गोपा मऊरी< मयूरी माआ< माता बहिणी, भगिनी कच्छवी कच्छपी सुत्तगारी< सूत्रकारी वुत्तिगारी वृत्तिकारी सीसा<शिष्या हस्थिणी हस्तिनी सेदिनी श्रेष्ठिनी गंधिआ< गन्धिका भज्जाभार्या नडी< नटी चन्दमुही< चन्द्रमुखी पीवरी पीवरी इंदाणी< इन्द्राणी गोवालिआ<गोपालिका कामुआ<कामुका कामुई ८ कामुकी
SR No.032038
Book TitleAbhinav Prakrit Vyakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorN C Shastri
PublisherTara Publications
Publication Year1963
Total Pages566
LanguageHindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size28 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy