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________________ ११० अभिनव प्राकृत व्याकरण आगारो< आकर:-क के स्थान पर ग और दीर्घ । उवासगो< उपाशक:-प के स्थान पर व, तालव्य श को दन्त्य, क को ग। एगो< एक:-क के स्थान पर ग, विसर्ग को ओत्व । गेंदुअं< कन्दुकम्-क के स्थान पर ग और अकार को एकार अन्तिम क का लोप, अ स्वर शेष। दुगुल्लं< दुकूलम्-क का ग और ऊकार को हस्त्र उकार । मयगलोर मदकल:-द का लोप, अ स्वर शेष तथा य श्रुति, क के स्थान में ग । मरगयं < मरकतम्-क के स्थान में ग, त लोप और शेष अ स्वर को य । सावगो< श्रावकः-संयुक्त रेफ का लोप, तालव्य श को दन्त्य स, क को ग तथा विसर्ग को ओत्व। . लोगो< लोका-क को ग, विसर्ग को भोत्व । (ग) क = च चिलाओ< किरात:-क के स्थान पर च और र को ल। (घ) क = भ सीमरो, सीअरो<शीकर:-तालव्य श को दन्त्य स, क को विकल्प से म, विकल्पाभाव में क का लोप और अ स्वर शेष, विसर्ग का ओत्व । ( 3 ) क = म चंदिमा< चन्द्रिका—संयुक्त रेफ का लोप और क को म। (च) क = व पवट्ठोद प्रकोष्टः-संयुक्त रेफ का लोप, क के स्थान पर व, संयुक्त पका लोप, ठ को द्वित्व और पूर्ववर्ती ठ को ट । (छ) क = ह चिहुरोदचिकुर:-क को ह, विसर्ग को ओत्व । निहसो< निकष:-क को ह, मूर्धन्य ष को दन्त्य स, विसर्ग को ओत्व। फलिहो< स्फटिकः-संयुक्त स का लोप, ट का लोप, क के स्थान पर ह, विसर्ग को ओत्व। सीहरोदशीकर:-तालव्य श को दन्त्य स, क को ह और विसर्ग को ओत्व । (१२) संस्कृत की ख ध्वनि प्राकृत में क में बदल जाती है। ख = क संकलंदशृंखलम्-संयुक्त रेफ का लोप, तालव्य श को दन्त्य स और ख के स्थान पर क।
SR No.032038
Book TitleAbhinav Prakrit Vyakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorN C Shastri
PublisherTara Publications
Publication Year1963
Total Pages566
LanguageHindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size28 MB
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