SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 125
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ अभिनव प्राकृत - व्याकरण K विहूणो, विहीणो विहीनः – इकारोत्तर ईकार को विकल्प से ऊकार तथा न कोणत्व, विसर्ग को ओत्व । ९४ हूणो, हीणहीन: 19 " (च) ई = ए - संस्कृत के निम्न लिखित शब्दों में ई ध्वनि को ए हो जाता है I आमेलो आपीडः - पकारोत्तर ईकार को एकार और ड को ल । केरिस कीदृशः - ककारोत्तर ईकार को एकार, दृश: के स्थान पर रिसो । एरिसोईदृश: - ई के स्थान पर एकार, दृश: के स्थान पर रिसो । पेऊसं <पीयूषम् – पकारोत्तर ईकार को एत्व, य लोप और ऊ स्वर शेष, मूर्धन्य को दन्त्य स । वहेडओ विभीतक : — इकार को अकार, भकारोत्तर ईकार को एकार, भ के स्थान पर ह, त कोड और क लोप, अ स्वर शेष, विसर्ग को ओत्व | नेडं, नीडं < नीडम् – नकारोत्तर ईकार को विकल्प से एकार | पेढं, पीठं पीठम् — पकारोत्तर ईकार को विकल्प से एकार तथा ठ को ढ । (१) संस्कृत की उ ध्वनि प्राकृत में अ इ, ई, ऊ और ओ में परिवर्तित हो जाती है । उ = अ - निम्न लिखित शब्दों में संस्कृत की उ ध्वनि प्राकृत में अ में परिवर्तित होती है। अगरुं < अगुरुम् -- गकारोत्तर उकार के स्थान पर अ । गलोइ 4 गुडूची - गकारोत्तर उकार को अ, " मउरं मुकुरम् – मउलो 4 मुकुल: का लोप, ई स्वर शेष, पश्चात् हस्त्र । गरुई - गुर्वी - गकारोत्तर उकार को अ वीं का पृथक्करण अतः रुई । उडो मुकुट :- मकारोत्तर उकार को अ, क लोप और ट को ड । " "" उ को ल और ऊ को ओ, चकार "" 22 मउलं <मुकुलम् - "" "" सोअमल्लं < सौकुमार्यम् — औ को ओकार होने से सो, क का लोप और उसके स्थान में उ स्वर शेष, उकार को अ तथा मार्यं का मल्लं । अवरिं, उवरिं उपरि —उ के स्थान पर विकल्प से अ, प को व ओ, गुरुओ गुरुकः - गकारोत्तर उ के स्थान पर विकल्प से अ, क लोप और अ स्वर शेष, विसर्ग को ओत्व । ( ख ) उ - इ - संस्कृत के निम्न लिखित शब्दों की उ ध्वनि का प्राकृत में इ हो जाता है । पुरिसो 4 पुरुषः -रकारोत्तर उकार के स्थान पर इ, मूर्धन्य प को दस्य स ।
SR No.032038
Book TitleAbhinav Prakrit Vyakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorN C Shastri
PublisherTara Publications
Publication Year1963
Total Pages566
LanguageHindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size28 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy