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________________ अभिनव प्राकृत-व्याकरण वे डिसो वेतसःत को ड और अकार के स्थान पर इस्व । - विअणं << व्यजनम् —– संयुक्त य का लोप और अ को इत्व, ज लोप तथा अं स्वर शेष | विलीअं<व्यलीकम् – संयुक्त य का लोप और अ को इस्व, क लोप और अं स्वर शेष । सिविणो स्वप्नः - स्व का पृथक्करण, अ को इत्व तथा न कोणत्व, विसर्ग का ओ | इंगारो, अंगारो << अङ्गारः - विकल्प से अ के स्थान पर इव । पिक्कं, पक्कं < पक्वम् — पकारोत्तर अकार को विकल्प से इस्व, संयुक्त वका लोप और क को द्वित्व | णिडालं, णडालं < ललाटम् — लकारोत्तर अ को विकल्प से इत्व, ट को ड । छत्तिवण्णो, छत्तवण्णो < सप्तपर्णः - सप्त के स्थान पर छत्त, अकार को इत्र, व तथा संयुक्त रेफ का लोप, ण को द्विस्त्र एवं विसर्ग का ओ | को प ८५ ( ग ) अ = ई - शब्द के आदि में रहनेवाली संस्कृत की अध्वनि ई में परिवर्तित हो जाती है । हीरो, हरो < हरः - इकारोत्तर अकार को ईव । (घ) अ = उ - संस्कृत की अ ध्वनि का उ ध्वनि में परिवर्तन अर्थात् संप्रसारण । गउओ < गवयः - पकारोत्तर अ के स्थान पर उ और य लोप, अशेष, विसर्ग को ओव । गउआ <गवया: - वकारोत्तर अ के स्थान पर उ, य लोप और स्वर शेष, स्त्रीलिंग | भुणी ध्वनि: - संयुक्त व का लोप, ध को झ, अकार को उत्त्र, न कोण । वीसुं विष्वक — संयुक्त व लोप, अ को उत्व । < तुरिअं - स्वरितम् — संयुक्त व लोप, अ को उत्व । सुअइ, सुत्रइ स्वपिति — संयुक्त त लोप, अ को उत्व | खुडिओ, खंडओ खण्डितः - विकल्प से खकारोत्तर अकार को उ त लोप और अ स्वर शेष | चुडं, चंडं < चण्डम् — चकारोत्तर अकार को वैकल्पिक उ । पुढमं, पदुमं, पुदुमं, पढमं थकारोत्तर अकार को क्रमशः दोनों अकार को उ तथा थ के स्थान पर ढ । प्रथमम् - विकल्प से पकारोत्तर अकार को उ (ङ ङ) अ = ऊ – संस्कृत की अ ध्वनि का ऊ में परिवर्तन । -- अहिण्णू< अभिज्ञ: -भ के स्थान पर ह, ज्ञ के स्थान पर ण्णू तथा अकाऊ |
SR No.032038
Book TitleAbhinav Prakrit Vyakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorN C Shastri
PublisherTara Publications
Publication Year1963
Total Pages566
LanguageHindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size28 MB
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