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________________ अभिनव प्राकृत-व्याकरण दइव्वं, दइवं दैवम् --अन्त्य व्यञ्जन व को विकल्प से द्वित्व । तुहिक्को, तुण्हिओर तूष्णीक: ---ण के स्थान पर पह और अन्स्य व्यञ्जन क को विकल्प से द्वित्व। मुक्को, मूओर मूक:—अन्त्य व्यञ्जन क को विकल्प से द्वित्व, विकल्पाभाव में क का लोप और अ स्वर शेष। . खण्ण , खाण< स्थाणुः-स्था के स्थान पर ख तथा अन्त्य व्यंजन को द्वित्व । थिण्णं, थीणं<स्त्यानम्-स्त्या के स्थान पर थी, अन्त्य व्यंजन ण को द्वित्व । अम्हकरें, अम्हकेरंद अस्मदीयम्-अन्त्य व्यंजन क को विकल्प से द्वित्व । तं च्चेअ, तं चेअरतं चेव-अनन्त्य --- आदि व्यंजन च को द्वित्व, व का लोप और अ स्वर शेष । सोच्चिअ, सोचिअ< सो चेव , , , (१४७ ) क्ष के स्थान पर ख आदेश होता है, किन्तु कुछ स्थानों में छ और क भी आदेश होते हैं। यथा खओर क्षयः-क्ष के स्थान पर ख, य लोप और अ स्वर शेष, विसर्ग का ओत्व। लक्खणं< लक्षणम्-क्ष के स्थान पर ख, ख को द्वित्व और पूर्व के ख को क । छीणं, खीणंदक्षीणम्-क्ष के स्थान पर ख होने से खीणं, छ होने से छीणं और झ होने झीणं रूप बनता है। मिजइ< विद्यति—क्ष के स्थान पर झ, द लोप और य का ज तथा द्वित्व । (१५८ ) अक्ष्यादि गण के शब्दों में क्ष के स्थान पर ख न होकर छ आदेश होता है। आदि में क्ष का छ और मध्य या अन्त्य क्ष के स्थान में च्छ होता है। यथा अच्छी < अक्षि-क्ष के स्थान पर छछ आदेश हुआ है। उच्छू < इक्षुः-के स्थान पर उ और क्ष के स्थान पर च्छ हुआ है तथा दीर्घ । लच्छी लक्ष्मी:-क्ष के स्थान पर छ हुआ है। कच्छो< कक्ष:छीअं<क्षीतम्-क्ष के स्थान पर छ और त का लोप तथा अ स्वर शेष। छोरं< क्षीरम्- , वच्छोर वृक्ष:- के स्थान पर अ और क्ष के स्थान पर च्छ हुआ है। १. क्षः खः क्वचित्तु छ-झौ ८।२।३. हे०। २ छो क्ष्यादौ ८।२१७. हे० ।
SR No.032038
Book TitleAbhinav Prakrit Vyakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorN C Shastri
PublisherTara Publications
Publication Year1963
Total Pages566
LanguageHindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size28 MB
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