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प्रय भगवत्मामी सरस्वत्या स्वप्नारिया दृष्टवरूप प्ररुपए पूर्व स्वमान समातिशयानि तन्नमस्तारानाहाका जमादि हे सो समाने वाले बारावाहिर सरनले लुम्म नमो गमो नमो भवन्तुति सकट सर्वसन प्रयागत तन्नाशनमा एसीमा नमस्कारालमा से पति निमूताः सरस्वतं. बजर्मीसिप्लोदि जिदमले / मंजुमनुल पस्तभरावीय कप्पकाभिधागा ताकि करेषु यथाक्रमः पशिए काम करमोठ्ययस्या मा तस्मैच सगुये प्रथम पदादपि गुमानिकारोदृशाते यथान कोप्पेह विरोस्ति योगीगांव निमोनी शाप पर पद प्राप्य पश्यन्त्यानन्ममंजगत् पुनः डिविशिष्टां भदने जर सराहालि मननकि सैव मुलाकृती, तस्या नसांरागनददृष्टिस्तामधिभिः त्रिमते तस्म तत्रैरोपोगान्दा यता
त्या पाण्टुरपुण्डरीक पटलस्पष्टामिरामप्रमा मिन्नतिमगृत झवि रिव शिरो ध्यामन्ति मूभिपता प्रमाप्रमांत निकट टारपदा निलिवनेदरालेवा भारत भारती सुरसरिलल्लोल लोल्लामितिः इत्यादि प्रबन्न बाल शुक्ल भागनिक स्तप्यार तुम्यक्षीरसमुद्रनिर्गत महाशेषादिलोलुत्फणपनोनिटश्यताविक हरेचन्द्रस्फुरलपिलाना त्यांच निजन्य परमति पर शान्तिभिन्तान्तर