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________________ प्राक्कथन भारतीय परम्परा में सरस्वती का अपना एक विशिष्ट स्थान है । सरस्वती के दो स्वरूप हमें मिलते हैं। एक नदी के रूप में और दूसरा वाग्देवता के रूप में। नदी के रूप में आज सरस्वती प्रत्यक्ष नहीं है, केवल प्रयागराज में गंगा और यमुना के साथ सरस्वती की पृथ्वी के अन्दर बहती हुई धारा मिलती है । जहाँ स्नान करने से समस्त अशुभ का क्षय हो जाता है और पुण्य का उदय होता है । ऐसी भारतीय मान्यता है । वाग्देवता के रूप में सरस्वती की आराधना तथा कृपा से विद्या तथा बुद्धि के वैभव का उद्रेक होता है। डॉ० मुहम्मद इसराइल खाँ ने सरस्वती पर ही संस्कृत में अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी से पी-एच० डी० की उपाधि प्राप्त की थी। इनके शोध-प्रबन्ध का विषय था 'Sarasvati in Sanskrit literature' यह शोध-प्रबन्ध १९७८ में प्रकाशित हुआ था। इसी विषय पर इन का चिन्तन और शोध-कार्य चालू रहा और समयसमय पर इन्होंने सरस्वती के अन्यान्य पक्षों पर अपने लेख प्रकाशित किए। इन्हीं लेखों का संग्रह अब यहाँ 'संस्कृत-साहित्य में सरस्वती की कतिपय झांकियाँ' इस शीर्षक के साथ विद्वानों के सामने प्रस्तुत हो रहा है। इन निबंधों में संस्कृत-साहित्य में विकास, ऋग्वेद, यजुर्वेद, अथर्ववेद, ब्राह्मणग्रंथ, पुराण तया लौकिक संस्कृत-साहित्य के आधार पर उपस्थित किया गया हैं । ग्रीक तथा रोमन पौराणिक कथाओं में सरस्वती की समकक्ष देवियों के साथ भी एक संक्षिप्त तुलनात्मक रूप-रेखा प्रस्तुत ग्रंथ में जुड़ी है । इस विषय पर अभी और अधिक गहराई के साथ अध्ययन अपेक्षित है । आशा है कि डॉ० खाँ इस विषय को आगे बड़ाएँगे । इस प्रसंग में सुप्रसिद्ध फ्रांसीसी विद्वान् छु मों के ग्रन्थ तथा लेखों के अध्ययन से बहुत उपयोगी सामग्री प्रस्तुत हो सकती है। वेद में प्राप्त सरस्वती के विशेषणों के आधार पर सरस्वती के स्वरूप का चित्रण बहुत अच्छा बना है । सरस्वती की पौराणिक उत्पत्ति के सिलसिले को भी यदि पुराणों के प्रसिद्ध कालक्रम को दृष्टि में रखकर दिखाया जाता, तो ज्यादा अच्छा था। सरस्वती की विभिन्न प्रतिमाओं के चित्र काल-क्रम के अनुसार परिशिष्ट में रखे जाते, तो पाठकों को एक रोचक सामग्री प्राप्त होती । इन छोटी-मोटी बातों के बावजूद भी प्रस्तुत ग्रन्थ में सरस्वती के उद्गम और विकास के साथ स्वरूपावबोध के लिए पर्याप्त प्रामाणिक ----सामग्री है, इसमें कोई सन्देह नहीं है । डॉ० खां ने वास्तव में इस विषय पर खूब
SR No.032028
Book TitleSanskrit Sahitya Me Sarasvati Ki Katipay Zankiya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMuhammad Israil Khan
PublisherCrisent Publishing House
Publication Year1985
Total Pages164
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size36 MB
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