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________________ । हम लोगों के प्रभावको नष्ट करने के अर्थ अजमेर के आर्यसमाजियों ने म. सीरावादमें पहुंच कर तरह तरह की गप्पं उड़ाकर सर्वसाधारणको भनमें डाल रक्खा था जिनका कि प्रतिवाद करना उचित समझा गया। उसके अर्थ कं. वर दिग्विजयसिंहजीने खड़े होकर सर्व यथार्थ वार्ता कह सुनायी जिससे कि आर्यसमाजियोंका सर्व प्रपञ्च लोगों पर प्रगट हो गया। अपनी पोल इस प्रकार खुलते देखकर पण्डित लालतामसादजी असिष्टेण्ट सेक्रेटरी परोपकारिणी सभा अजमेरसे न रहा गया और अपने सभामें खड़े होकर फिर लोगों को भूममें डालना प्रारम्भ किया पर दो तीन बार उत्तर प्रत्युत्तर होने पर आपको बन्द होकर लज्जित होना पड़ा । अपनी लज्जाको दूर करनेके अर्थ मापने उसी समय लिखित शाखार्य करने की धमकी दी जिसपर हमारी ओर मे हर्ष प्रगट किया जाकर मापसे पल्ला गया कि यह लिखित शास्त्रार्थ भाप स्वयं करते हैं या किसी समाज की ओर से । आपने आर्यसमाज अजमेर का मान लिया जो कि हमारी ओरसे विना उसकी स्वीकारता दिखलाये अस्वी. कार किया गया। इस पर मार्यसमाज नसीराबादने भापको अपनी ओर से शास्त्रार्थ करने का प्रतिनिधि नियत किया । दोनों ओरके निश्चयके अनुमार वहीं सभामें एक एक प्रश्न परस्पर लिखा जाने लगा और हमारी ओरसे निम्न प्रश्न लिखा गया ॥ . . आप ऐसे मूल पदोर्थ कितने और कौन से मानते हैं जिनमें कि सर्व पदार्थ गर्भित हो जाय और वे किसी में ग. मित न हों और उनके लक्षण क्या हैं। प्रमाण से इन प. दार्थों का निर्णय किया जायगा अतः प्रमाण के सामान्य और विशेष लक्षण लिखिये ॥ 1. " - हमारी ओरका उपर्युक्त प्रश्न लिखा जाकर सभामें सुनाया जानेको ही था किपिडित लालतामसादगीने (अपमा प्रश्न लिखना बन्द करके ) खडे सेकर यह कहा कि यह शास्त्रार्थ बहुत दिवस तक जारी रहेगा अतः आप लोग अपनी सभा' वन्द करके प्रथम नियमादि निश्चित कर लीनिये सब कल से शास्त्रार्थ चलाइये। श्रापको वात कईवार हमारे प्रतिवाद करने पर भी AC
SR No.032024
Book TitlePurn Vivaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJain Tattva Prakashini Sabha
PublisherJain Tattva Prakashini Sabha
Publication Year1912
Total Pages128
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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