SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 8
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ सदा पापतापापहेऽभीष्टदेहम् । । गुरूणां पदाब्जे भजे भङ्गलाय ॥ १ ॥ ॐ ही श्री श्रीजिनरत्नप्रभसूरीश्वराय, श्रीजिनयक्षदेवसूरीश्वराय, श्रीजिनसिद्धसूरीश्वराय, श्रीजिनककसूरीश्वराय, श्रीजिनदेवगुप्तसूरीश्वराय, देवान् प्रतिबोधकाय, मिथ्यात्वविद्वंसकाय, ओएशवंशस्थापकाय, जलं निर्वपामि ते स्वाहा ॥ १ ॥ अथ द्वितीयचन्दनपूजाप्रारम्भः दुहा. चंदन मृगमद काश्मरी, घसी घनसार सुं भेल । जो चरचे गुरु चरन, लहै सुरंगा खेल ॥ १ ॥ ___ ढाल दूसरी. विमलगिरि डग धरीए। ए देशी । सद्गुरु पूजन करिए सुघडजन । ए आंकड़ी। पूजा करतकरी भवफंदा । भव भव पातिक कटरिये. सुघडजन । सद्गुरु०॥१॥ तीन लाख अरु सहस चो. रासी । श्रावक गुरुगढ करिये सुघडजन । सद्गुरुः ॥ २ ॥ एकदिवस ऊहडदे श्रावक । करजोरे पद परिये सुघडजन । सद्गरु० ॥३॥ नाम नारायण देहरो बनाउं । दिवस बने निशि परियें । सुघडजन
SR No.032023
Book TitleBruhat Puja Aur Laghu Puja
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTribhuvandas Amarchand Salot
PublisherJograjji Chandmallji Vaid
Publication Year1916
Total Pages28
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy