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________________ ११ माणि भूमें पसरे । नाम सुनत अघ भाजे ॥ सु० ॥ १॥ नपकेश गच्छ विद्याधर शाखा । कमला बिरुद सुछाजै । तिनके पाट पाटानुक्रमसें । देव गुप्तसूरिराज सु०॥२॥ तिनके शिष्य पाठक पद सोहे। मा. मसुन्दर गूरुराज । ताके शिष्य कल्यानसुन्दरमुनि । पाठक बिरुद समाज ॥ सु० ॥३॥ लब्धिसुन्दर तिनके पदसेवक । नाम लेवत होय काज । तिनके शिव्य पाठक पद उत्तम । खुश्यालसुन्दर महाराज ॥ सु० ॥४॥ माता साचल जाय मनाइ । सकल गणि शिरताज । देश देशके भूप नमाये । गावत गूण गौरी आज ॥ सु० ॥५॥ वखत सुन्दर लघुकनक किरति मुनि । गणिपद पेटी सुसाज । तिनके शिष्य विद्यागुण पूरण । लक्ष्मीसुन्दर कविराज ॥ सु० ॥ ६ ॥ भवानीसुन्दर तिनके लघु भ्राता। पंडित शीलविराज । नेमसुन्दर अनुज न्यालसुन्दर गणि । किरति चहुं दिस गाज ॥ सु० ॥ ७॥ तिनके चरण कज सेवक नायक।सुन्दरगणि अति छाजे। तिनके शिष्य गितारथ पंडित। विवेकसुन्दर गणिराज ॥ सु० ॥८॥ तास चरन रज सुमति सुन्दर वर । पूजा रचि सुख आज । संवत् शशि नव रस ग्रह (१९६८) फागण। चोथ वदि सुसमाजे ॥ सु० ॥ ९॥ संध्या लश्कर १ पाठान्तरे ककसरि गुरुराज ।
SR No.032023
Book TitleBruhat Puja Aur Laghu Puja
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTribhuvandas Amarchand Salot
PublisherJograjji Chandmallji Vaid
Publication Year1916
Total Pages28
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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