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________________ निर्णय-चर्चापत्र. (दोहा.) चौदहचुके-बारां भुले-छकायाके-ज-जानेनाम, नगर डंढरा फेरिया-श्रावक महारा नाम. १, श्रावकको कुलपायके-लियो-न-प्रभुको नाम, जैसे कुवा-जलविना-हुवातो-कौनहीं काम. २, श्रद्धापूर्वक व्रतनियम जिसमेंहो-उनकों श्रावक कहना चाहिये, दोहा,-] जीवदया गुणवेलडी-रोपी रिषभ जिनंद, श्रावककुल मंडपचढी-सींची भरत नरीद, सहस्र डुबकी में लही-मोती न आयो हाथ, सागरको क्या दोषहै-हीन हमारे भाग, पाप छिपाये ना छिप-छिपेतो मोटे भाग्य, दाबीदुबी ना रहे-रुइ लपेटी आग, जातमात्र जल वाहिया-कर्णकंस निज माय, फुन-ते-शुभकर्मोदये-हुवा बडेरा राय,ब-कल्म-जैनश्वेतांबर धर्मोपदेष्टा-विद्यासागरन्यायरत्न-महाराज-शांतिविजयजी,
SR No.032022
Book TitleKitab Charcha Patra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShantivijay
PublisherDolatram Khubchand Sakin
Publication Year1917
Total Pages60
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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