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________________ ५० “ सर्वमंगलमांगल्यं सर्वकल्याणकारणं । “ प्रधानं सर्वधर्माणां जैनं जयति शासनम् ॥ २ ॥ ॐ शांतिः शांतिः शांतिः सभापतिजीके व्याख्यानके अनंतर जयध्वनीपूर्वक सभा विसर्जन हुई. " लेखक प्रार्थना. " प्यारे पाठको ! मैं इस सम्मेलनमें स्वयम् उपस्थितथा इसलिये जो कुछ मेरे देखने व सुननेमें आया है वही अपनी लेखनीद्वारा उध्धृत कर आपकी सेवामें निवेदन किया गया है. " धावतस्खलनं कापि " इस न्यायसे यदि कुछ लिखनेमें त्रुटि रह गई हो तो कृपया क्षमा करें. आपका कृपाभिलाषी हीरालाल शर्मा. मैनेजर श्री आत्मानंद जैन लायब्रेरी ' अमृतसर' ( पंजाब ) ॥ सम्मेलनमें उपस्थित महात्माओंके नाम. ॥ १ श्री १०८ श्री आचार्य महाराज श्रीविजय कमलसूरि. २ श्री १०८ श्री उपाध्यायजी महाराज श्रीवीरविजयजी. ३ श्री १०८ श्री प्रवर्त्तकजी महाराज श्रीकांतिविजयजी. श्रीहंसविजयजी. ४ श्री १०८ मुनिमहाराज ५ पंन्यासजी महाराज श्रीसंपत्विजयजी. ६ मुनि महाराज श्री वल्लभविजयजी.
SR No.032021
Book TitleMuni Sammelan 1912
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiralal Sharma
PublisherHirachand Sacheti
Publication Year1912
Total Pages58
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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