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________________ ४२ अपने हाथकी तर्फही ख्याल करें ! एक एक अंगुलिके भिन्न भिन्न कार्य में सर्व अंगुलिएँ एक समान होती हुईभी एक अंगुलिका काम दूसरी अंगुलि नहीं कर सकती है ! जैसे कि, पांचोही अंगुलिओंमेंसे विवाहादि प्रसंग में तिलक करनेका काम जो कि अंगुष्टका है वह काम अन्यसे नहीं किया जाता. ऐसेही यदि किसीको खिजानेके लिये जैसे अंगूठा खड़ा किया जाता है और उसको देख कर सामना आदमी झट खीज जाता है यह कामभी और अंगुलि नहीं कर सकती ! अंगुष्ट के साथ की अंगुलि जैसे बोलतेको चुप करानेके लिये, या किसीको तर्जना करनेके लिये काम आ सकती हैं, और अंगुलि इस संकेतका ज्ञान कदापि नहीं करा सकती ! पांचोही अंगुलिओंको दो इधर और दो इधर ऐसे विभाग में बांटने का काम जैसा मध्यमा - बिचली अंगुलि कर सकती है अन्य अंगुलिसे वो काम कदापि नहीं हो सकता ! इष्टदेवके पूजनमें इष्टदेवको तिलक करनेका काम अनामिका चौथी अंगुलिका है वो काम अन्य अंगुलिसे नहीं किया जाता ! इसी प्रकार निष्टिका पंचमी अंगुलिका काम स्कूलमें मास्तरसे लघुनीतिपेसाब करनेको जानेके लिये छूट्टी मांगनेका है वो काम अन्य अंगुलिसे नहीं हो सकता ! या मुद्रिका पानेका ख्याल प्रायः जितना कनिकाका होता है इतना अन्य किसी अंगुलिका नहीं ! जिसका कारणभी यही मालूम देता है कि, चलते हुए आदमीकी वही अंगुलि खुली रहतीहै. औरतो प्रायः दवाणमें आजाती हैं, तो दूरसे मुद्रिकाकी चमकभी मालूम नहीं हो सकती ! एवं पांचोंही अंगुलियें निज निज कार्य करनेमें समर्थ होनेसे अपने स्थान में सबही
SR No.032021
Book TitleMuni Sammelan 1912
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiralal Sharma
PublisherHirachand Sacheti
Publication Year1912
Total Pages58
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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