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________________ प्रस्ताव दूसरा श्रावकसंघ की कुछ त्रुटिया दूर करने के बारे में श्री श्रमणोपासकसंघ अर्थात् श्रावकसंघ जैन संघ का एक महत्त्वपूर्ण अंग है। और श्रीसंघ की सभी धार्मिक, सामाजिक और शैक्षणिक संस्थाओं की छोटी-बडी रकमों की व्यवस्था इन्हीं के हस्तगत है। इस लिए किसी भी श्रावकभाई की अकुशलता, बेदरकारी या स्वार्थपरायणता के कारण श्रीसंघकी किसी भी संस्थाको आर्थिक हानि न उठानी पडे या उसके संचालन में किसी प्रकार की त्रुटि न रहने पावे, और उसमें जो त्रुटि आ गई हो, वह शीघ्र दूर हो जाय इसके लिए आवश्यक कदम उठानेकी खास जरूरत इस सम्मेलन को प्रतीत होती है। अतः इन त्रुटियों को दूर करने के लिए निम्न बातों को अमल में लाना आवश्यक है :(अ) कोई भी श्रावकभाई किसी भी धार्मिक या धर्मादा संस्था के रूपये अपने यहाँ जमा न रखे । (आ) श्रीसंघ की धार्मिक, सामाजिक या शैक्षणिक जिस जिस संस्था का संचालन त्रुटिपूर्ण हो अथवा जिस किसी संस्था में गैरव्यवस्था या गैररीति चलती हो तो उस संस्थाने उसमें शीघ्र ही सुधार कर लेना चाहिये। अगर वह संस्था इस प्रकार सुधार न करे तो श्रीसंघ समिति उसके लिए उचित कार्यवाही करे। (इ) हमारे मन्दिरों, उपाश्रयों, धर्मशालाओं आदि के निर्माणकार्य में अकसर कार्यकर्ताओं की अकुशलता और अनुभवहीनता के कारण, विवेक बिना बहुत से द्रव्य का दुर्व्यय हो जाता है। श्रीसंघके द्रव्य के ऐसे दुर्व्यय को रोकने के लिए शीघ्र ही कदम उठायें जाय। और इसके वास्ते, एक व्यवहार्य योजना के रूपमें, सेठ आनन्दजी कल्याणजी की पेढीने सुयोग्य सलाह व मार्गदर्शन के लिए जो व्यवस्था की है उसका ऐसे कार्य करने के समय अवश्य लाभ उठाया जाय ।
SR No.032018
Book TitleShwetambar Murtipuja Sangh Sammelan Prastav
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAkhil Bharatiya Jain Shwetambar Murtipujak Shree Sangh Samiti
PublisherAkhil Bharatiya Jain Shwetambar Murtipujak Shree Sangh Samiti
Publication Year1963
Total Pages14
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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