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________________ भूमिका. →je कलिकाल सर्वज्ञ श्रीहेमचन्द्राचार्य महाराजकी सुभ्र कीBe र्तिको सदा के लिए कायम रखनेवाला और सभ्य संसारके हृदयमें आश्वर्य प्राप्त करानेवाला उनका ज्ञान गुण आज भी उनका परिचय दे रहा है । उनके समान सर्व शास्त्र पारगामी उस समय आर्यक्षेत्र में अन्य कोई न था, बल्कि यों कहना चाहिये कि उनके बाद वैसा प्रतिभाशाली तथा चमत्कारी पुरुष आजतक नहीं हुआ, इसीसे तत्कालीन सर्व धर्मके नेताओं तथा विद्वान् पुरुषोंने मिलकर उन्हें कलिकाल सर्वज्ञकी पदवीसे विभूषित किया था, उन महात्माओंकी रत्नप्रसू लेखनीसे लिखे हुवे ग्रंथरत्नों से विदित होता है कि सचमुचही बे इस पदवीके योग्य थे । उन आदर्शजीवी महात्माने अपनी हयातिमें धर्मोपदेशादि अन्य सत्कार्य करते हुवे भी साढ़े तीन क्रोड़ श्लोक प्रमाण ग्रंथोंकी रचना की हैं मगर आज हमारे दुर्भाग्यवश बहुतसा समय परिवर्तन होनेसे बहुत से उनके रचे हुबे ग्रंथ गायब होगये हैं तथापि उनकी चमत्कारिणी रचना वर्तमान समयमें भी हमारे लिए कुछ कम नहीं है । प्राय उन्होंने कोई विषय ऐसा नहीं छोड़ा कि जिसपर अपनी ओजस्विनी लेखनी न चलाई हो ; व्याकरण, काव्य, कोष, न्याय, अलंकार, छन्द,
SR No.032011
Book TitleParishisht Parv Yane Aetihasik Pustak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTilakvijay
PublisherAatmtilak Granth Society
Publication Year1917
Total Pages198
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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