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________________ प्रकाशकीय आचार्य कुन्दकुन्ददेव विरचित 'गाथा समयसार' (पद्यानुवाद व अर्थ सहित) प्रकाशित करते हुए हमें विशेष आनन्द हो रहा है। इस लघु कृति में मात्र मूल गाथाएँ, उनका हरिगीत छन्द में डॉ. हुकमचन्दजी भारिल्ल कृत पद्यानुवाद व गाथार्थ ही दिया गया है। श्री टोडरमल दि. जैन सिद्धान्त महाविद्यालय के शास्त्री द्वितीय-तृतीय' वर्ष के पाठ्यक्रम में प्रारंभ की १४४ गाथायें टीका सहित निर्धारित हैं। साथ ही अन्य विद्यालयों एवं श्री टोडरमल मुक्त विद्यापीठ के सिद्धान्त विशारद परीक्षा के पाठ्यक्रम में भी समाहित हैं। इसके अध्येता छात्र मूल गाथाएँव पद्यानुवाद कण्ठस्थ भी करते हैं। कण्ठपाठ योजना के अंतर्गत भी अनेक छात्र सम्पूर्ण ग्रन्थ कण्ठस्थ करते हैं। सन् २००८-०९ के शैक्षणिक सत्र में श्री टोडरमल दि. जैन सिद्धांत महाविद्यालय के ४ छात्रों ने सम्पूर्ण ग्रंथ कण्ठस्थ भी कियाहै। - टीका सहित प्रकाशित बड़े ग्रन्थ को हाथ में लेकर कण्ठस्थ करने में अत्यन्त असुविधा होती है; अत: उनके लिए यह कृति अत्यन्त उपयोगी सिद्ध होगी। साथ ही सम्पूर्ण देश में अनेक स्थानों पर समयसार का सामूहिक पाठ होता है, वहाँ भी पाठकों को मूल गाथा अथवा पद्यानुवाद का पाठ करने में सुविधा होगी तथा जो पाठक आचार्य कुन्दकुन्ददेव के मूल अभिप्राय को संक्षेप में जानना व पढना चाहते हैं, उनके लिए भी यह कृति अत्यन्त उपयोगी सिद्ध होगी। ___ समयसार जैसा विषय विविध रूपों में समाज के सामने आवे तो लाभ ही लाभ है। इन्हीं उद्देश्यों से इस लघु कृति का पृथक् प्रकाशन किया जा रहा है। इस कृति की कीमत कम करने वाले दातारों तथा आकर्षक रूप में टाइपसेटिंग करनेवाले श्री दिनेशजी शास्त्री एवं सुन्दर रूप में प्रकाशित करनेवाले श्री अखिलजी बंसल को भी अनेकशः धन्यवाद । -ब्र. यशपाल जैन, एम.ए. प्रकाशन मंत्री, पण्डित टोडरमल स्मारक ट्रस्ट, जयपुर
SR No.032006
Book TitleGatha Samaysara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHukamchand Bharilla
PublisherTodarmal Smarak Trust
Publication Year2009
Total Pages130
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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