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________________ उप्तन्न हुआ जो कि आज भिन्न भिन्न ज्ञातियों के रुप में दिखाई देता है। दसा बीसा भेद की उत्पत्ति । गुजरात मारवाड की सभी ज्ञातियों में ऐसा संख्या वाचक एक सरखिा भेद क्यों हुआ और कब हुआ ? ऐसे जिज्ञासु प्रश्न उपस्थित होते हैं । ऐतिहासिक प्रश्नों का विवरण तर्क वितर्क के बदले प्रमाण सिद्ध होने की आवश्यकता होती है; अतएव इस बात का खुलासा जिन प्रमाणों से हो सकता है उन का अनुशीलन हमने करना चाहिये । नोधसोन, जाइलवाल. नागर, नाणावाल, खडायता, पल्लीवाल, जालहरा, वाहडा, चित्रवाल, छांया, कपोल पुष्करवाल, जंबूसरा, नागद्रहा, सुहडवाल, मुढेरा, करहिया, उग्रवाल, बांभण, आञ्चित्तवाल, श्रीगुड, गूजर, श्रीमाल प्रौढ, अडालिजा, मांडलिया. गांभुआ मोढ, लाहुआ श्रीमाली, लाड, बांगडा, सोरठिया पोरवार, नय सहस्तकी, नरसिंघपुरा, हालर, पचम कायउरा, वाल्मीक, कंवोतिसुरा, तेलुउटा, अष्ठवप्री । वघणुरा, सिरिखंडेरा मेवाडा भौडिआढा, काटजिणडा, जेहराणा, सोहरिया, धाकडामुहवऱ्या, भाडया, मूंगडिया, हृवंड, नीमा, मडाहडा, ब्रह्माणा, वागडु, चित्रउडा, विघु माथर, नाउरा, पद्मावती, काकली, आणं दुरा, मांडेरा, साचुरा गोलावाल राजउरा, लाडीसखा, द्वीसखा, चऊसखा,-कोई जैन विद्वानने 'महमदपादसाह' इस लेख में वि. सं. १५०० पहिले लिखा है। [श्रीमालीमोना ज्ञाति भेद पृष्ट २३३-३४ ?
SR No.032004
Book TitlePorwar Mahajano Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorThakur Lakshmansinh Choudhary
PublisherThakur Lakshmansinh Choudhary
Publication Year
Total Pages154
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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