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________________ ४५ और [३] कंडोल महास्थान में जाकर रहे वे कपोलों प्राग्वाट महाजन कहलाये । कपोलों के गोर कुंडल महास्थान के नाम पर से कंडोलिया ब्राह्मण कहलाने लगे यथा: "ततोराज प्रासादात् समीपपुर निवासतो वणिजः प्राग्वाट नामानो बभूवः । आदौ शुद्ध प्राग्वाटाः द्वितिया सुराष्ट्रंगता केचित सौराष्ट्र प्राग्वाटा: । तदवशिष्ठाः कुंडल महास्थान निवासीतोपि कुंडल प्राग्वाटा बभूवः तेषां धर्मोपदेष्टारो ब्रह्मद्वीप शिखायां महा ब्रम्ह ब्रह्मावटंक धारिणो ब्राह्मणा गुरवोजाताः । इन भेदों के अतिरिक्त पोरवाडो में और भी दो भेद हुए । ( १ ) जांगडा [ जांगल देश वासी ] पोरवाड और [ २ ] पद्मावती [ पद्मावती में बसे हुए ] पोरवाड | श्रीयुत ओझाजी के कथनानुसार ( नागरी प्रचारिणी पत्रिका भाग २ संवत् १९७८ ) वर्तमान सारा बीकानेर राज्य तथा मारवाड ( जोधपुर राज्य ) का उत्तरी हिस्सा जिसमें नागोर आदि परगने हैं प्राचीनकाल में " जांगल देश " कहलाता था । महाभारत में कहीं देश वा वहां के निवासियों का सूचक ' जांगल ' नाम अकेला ( जांगल ) मिलता है तो कहीं कुरु और मद्रास के साथ जुडा हुआ [ कुरुजांगला, माद्रिीय जांगला ] मिलता है । बीकानेर के महाराजा जांगल देश के स्वामी होने के कारण अपने को •
SR No.032004
Book TitlePorwar Mahajano Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorThakur Lakshmansinh Choudhary
PublisherThakur Lakshmansinh Choudhary
Publication Year
Total Pages154
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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