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________________ १० गुजरात में जितनी ज्ञातियां ( वर्ण संकर ज्ञातियां ) हैं उतनी अन्य कोई प्रदेश में नहीं है । अतएव औषनस स्मृति अनुमानतः गुजरात के लिये बनी होना संभवनीय है । आवश्यकतानुसार अन्य विभागों के वास्ते रचि हुई पुरवणी स्मृतियों का आधार उनसे अन्य विभागों में भी लिया जाना संभवनीय है । जैसे कि, आजकल भिन्न भिन्न हायकोटों के फैसलों के आधार लिये जाते हैं । जब वर्णसंकर ज्ञातियों की वृद्धि असह्य हो गई तब शास्त्रकर्ताओं ने इस पीडा का अंत करना निश्चित किया । इसके लिये विषम ज्ञातियों का लग्न व्यहार बंद करना यही एक मात्र उपाय सोचा गया । प्रति मनुष्य ने अपनी समान जाति के और पूर्ण परिचित ऐसे लोगों से लग्न संबंध करना । जिसका दर्जा जराभी भिन्न हो; वा जो पूर्ण परिचित न हो उससे लग्न व्यवहार करना नहीं ऐसे दृढं नियम निर्माण किये गये । इन नये नियमानुसार समान श्रेणि के तथा परिचित लोगों के जो समूह निर्माण हुए वेही आज की जातियां हैं । 1 ऐतिहासिक साधनों के अभ्यास के कारण जो उक्त इतिहास नहीं जानते हैं और केवल यूरोपियन पंडितों के अभिप्राय के प्रमाण पर ही तर्कमय इतिहास निर्माण करते हैं वे अनेक असंबद्ध विधान किया करते हैं । कोई तो सब को परकीय मानते हैं, और कोई सर्व दोष का टोकरा ब्राह्मणों के
SR No.032004
Book TitlePorwar Mahajano Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorThakur Lakshmansinh Choudhary
PublisherThakur Lakshmansinh Choudhary
Publication Year
Total Pages154
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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