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________________ १२२. ४।- मतनुज ठ. श्री आसाराज नंदनेन ठ. श्री कुमार देवी कुक्षी संभूतेन महामात्य श्री वस्तुपालेन स्वभार्याम - 1 ५।-हं श्री स-पुण्यार्थमिदैव श्री जयादित्य देवपल्या श्री राजल देल्यां मूतिरिय कारिता ॥ शुभमस्तु ।। . २ बाये तरफः१॥ॐ॥ संवत १२९२ आषाड सुदि ७ रवी श्री नारद मुनि विनवेशीते श्री नगरवर महास्थाने सं. ९०८२ वर्षे अ २।-तिवर्षाकाल वशादति पुराणं तयाच आकस्मिक श्री जयादित्या देवीय महाप्रसाद पत्तन विनिष्ठांया श्री रत्नादेवी मूर्तो- ( तौ ) ३। पश्चात श्रीमत वास्तव्य पत्तन प्राग्वाट ठ. श्री चंडपात्मज ठ. श्री चंडप्रासादांगज ठ. श्री सोमतनुज ठ. श्री आसाराजनन्द -1 ४।-नेन ठ. श्री कुमार देवी कुक्षि संभूतेन महामात्य श्री वस्तुपालेन स्वभार्या मायाः ठ. कन्हड पुत्र्याः ठ. संपूत्क क्षिभवा ५।-याः महं श्री ललिता देव्या पुण्यार्थमिहैव श्री जयादित्य देवपल्या श्री रत्नादेवी, मूर्तिरिय कारिता ॥ शुभमस्तु ॥ ६ ॥
SR No.032004
Book TitlePorwar Mahajano Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorThakur Lakshmansinh Choudhary
PublisherThakur Lakshmansinh Choudhary
Publication Year
Total Pages154
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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