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________________ ९८ केवल दो तीन रहगये हैं । वि० सं० १२०२ के शिलालेख से पाया जाता है कि पहिले तीन विमल के पूर्वज और चौथा नेढ़ उसका बड़ा भाई था । बाकी पांच हथनियों पर के पुरुष कौन थे यह निश्चित करना है। उक्त १२०२ वाले लेख में नेढ का पुत्र का पुत्र लालिग, उसका महिंदुक और महिंदुक के दो पुत्र हेम और दशरथ का होना बताया है; परंतु इन के नाम की कोई हथनी शाला में नहीं है । हरिभद्र सूरी रचित प्राकृत काव्य " मल्ल चरित " में ( ३ प्रस्ताव ) बताया है कि नेढका धवलक, राजकर्ण का मंत्री हुआ । इसका पुत्र पृथ्विपाल, कुमारपाल का मंत्री रहा उसने आबू के विमल के मंदिर की हस्तिशाला बनवाई उक्त मंदिर के वि. सं. १२४५ के शिला लेख से स्पष्ट होता है + अहनेढ महामइणो तणओ सिरि कण्ण एव रज्जम्मि; जाच्यो नियजस धवलय भुवणो धवलोत्ति मन्तिवशे । जयसिंहराव ज्जे गुरु गुण वंस उल्लसन्त महाम्यो; जा श्री भुवणाण हो आणं हो नाम सचिविंदो । हसिद्धि राम सिरि कुमरवाल गवा वणिंद तिलयाणाम् पुष्ण भरभार विहुरियमुवद उष्ण पुहवी पीढम् । सिरिकुमर वाल नरनायगाण रज्जेसुः सिरि पुहइ वाल मन्ती अवित नामइमों विहिओ | अव्वय गिरिम्मि सिरिनेढ विमल जिण मन्दिरे करावे उम्; मडवमइयं विम्हय जयणं पुरओ; पुणोतस्स । विलसिर करेणु माण सवंस पुरिसोत्तमाण मुत्ती विहियंच संघभत्तिं वहुत्थ युवत्थ दाणेण ।
SR No.032004
Book TitlePorwar Mahajano Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorThakur Lakshmansinh Choudhary
PublisherThakur Lakshmansinh Choudhary
Publication Year
Total Pages154
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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