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________________ (त्रिस्तुतिपरामर्श.) जोकोइ अकलमंद समझताहै उसीकों सवाल पुछताहै, विद्यासागर किसीकों कहने नहोजाते तुमहमकों सवालपुछो, जिसकों जरुरत पडतीहै पुछता है, (२४) E3 ( दरबयान पांचसवालोका.) पर्युषणनिर्णयपत्रिका पृष्ट (२३) पर बयानहै, श्वेतांबरसंघसाधु-साध्वी-श्रावक-श्राविकाकों-यत्किंचित् पृछा,-(यानी) कुछसवाल पुछते है. . १. सवाल पहला,-पंचांगी किसकों कहतेहै ? और प्रकरण उस पंचार्गाके अंतर्गतहै-या-नही, ? (जवाब.) सूत्र-भाष्य-टीका-नियुक्ति-और-चूर्णि-इनको पं चांगी कहतेहै, और प्रकरणग्रंथ पंचांगीके अंतर्गतहै, ? २. सवाल दूसरा,-जो प्रकरणादि पंचांगीसे-न-मिलतेहो-तो -मानना-कि-नही, ? (जवाब.) कौनकौनसे प्रकरण पंचांगीसें नही मिलते ? जा. हिरकरो ! जवाब देयगें, ३. सवाल तीसरा, यदि शास्त्रकारही परस्पर विरोध करते हो-तो-किससे निर्णय करना ? (जवाब.) अगर समझनेवालोंकी समझकाही फर्क हो-तो किसका दोष कहना, ४. सवाल चोथा,-श्रावक समुदाय बेगहो-वहां-स्त्री-भाषण देवे-या नहीं?
SR No.032003
Book TitleTristuti Paramarsh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShantivijay
PublisherJain Shwetambar Sangh
Publication Year1907
Total Pages90
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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