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________________ Ο કારણ કે "તે" સાધુ હતા ના વ્યાન કરણી મુનિ દીપરત્નસાગરજી नमो नमो निम्मलदंसणस्स Folder - 31 દીપરત્નસાગરના લઘુશોધનિબંધ कुल⇒ 5 भाषा-गुजराती कुलपृष्ठ 220 इस इकतीसवे फोल्डरमें मेरे 5 लघुशोधनिबंध गुजराती भाषामे है । वे इस प्रकार → 1- आगमना प्रभर व्याम्याताओ- २८ पृष्ठोमें लिखा हुआ ये लघु शोध निबंध है, जिसमे श्रमणकी व्याख्या, द्वादशांगीका अर्थ और उद्भव, 'आगम' शब्द का अर्थ और उस का वर्तमान स्वरुप, आगमोका व्याख्या- साहित्य और कर्ताओ का परिचय यहाँ करवाया है 2- आगमडालीन ‘श्राव- श्राविडायो'- भवन ने वन- ३६ पृष्ठोमें लिखे हुए इस लघु-शोध-निबंधमें ‘श्रावक', 1. श्रावक और धर्मश्रवण, 2. श्रावक और धर्मश्रद्धा, 3. श्रावक और तत्वजिज्ञासा, 4.श्रावक और चारित्रराग, 5. श्रावक और भगवद् विनय, 6.श्रावक और गौचरीभक्ति, 7.श्रावक और व्रत नियम आदि विषयो को दृष्टांत के साथ बताया है ते 3- (रए| } ते साधु हता- 82 पृष्ठोमें लिखा ये 'लघु व्याख्यान संग्रह' है, इसमें 25 लघु कथाए है, प्रत्येक कथामे एक ही बात केन्द्रमे है, की पूर्वमे या पूर्वावस्थामे एक बार भी साधूत्व का स्वीकार किया हो तो भी उस जीव को कभी भी पुन: चारित्रराग की उत्पत्ति से फिर मार्गप्राप्ति और श्रमणत्व सुलभ होता है । 4- श्रुत उपासको अने साहित्य सन- 70 पृष्ठोमें लिखा हुआ ये 'लघुशोधनिबंध' है, यहाँ आगमकालीन साहित्य और आगमेत्तर विवेचन साहित्य का सर्जन और उन साहित्य के सर्जक के विषयमे विस्तृत माहिती प्रस्तुत की गई है । निर्युक्ति, चूर्ण आदि आ व्याख्या ग्रन्थ, प्राकृत और संस्कृत साहित्य-युग, विक्रम संवत १००१ से १३९९ तक अलग अलग युगोमे रचित साहत्य, रास-युग, जूनी गुजराती-युग आदि का वर्णन है | 5- आगमना -1- सिर्फ 4 पृष्ठो का शोधपत्र है, जिसमे आगम का अर्थ, द्वादशांगी उद्भव, मातृकापद, इंद्रभूति द्वारा द्वादशांगी- रचना, द्वादशांगी-अनुज्ञा, आगमो के विभाग, द्वादशांगी-विच्छेद आदि तथा एक छोटी कथा और वचनामृत समाविष्ट है | आगमो के 24 संदर्भ यहाँ साक्षिपाठ स्वरूपमे हमने लिख दिए है । -मुनि दीपरत्नसागर.. |Muni DeepratnaSagar's 585 Books [1,03,130 Pages] SZYZDRADUN Mobile: +91-9825967397 Email: jainmunideepratnasagar@gmail.com मुनि दीपरत्नसागर की 585...... Page 39 of 60 ... साहित्य कृतियो का परिचय
SR No.031012
Book TitleDeepratnasagars Ssaahity Yaatraa Of 585 Publications 2017
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherDeepratnasagar
Publication Year2017
Total Pages60
LanguageHindi
ClassificationPublishers & Catalogue
File Size14 MB
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