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________________ नमो नमो निम्मलदंसणस्स दीपरत्नसागर की 555 साहित्य-कृतियाँ • परिचय और साहित्ययात्रा → Date : 3/7/15 जिनकी साहित्ययात्रा 555 किताबें तक पहुंची है ऊस पथिक का नाम दीपरत्नसागर है, 1981 में जैन साधुत्व स्वीकार करने के बाद मुनिजी 4 साल तक अभ्यासमें निमग्न रहे 1984 के अंतमें मुनिजी भगवद्भक्ति हेतु अपनी साहित्ययात्रा का आरंभ किया | 1995 के बाद तो ये यात्रा 'जिनेश्वर भगवंत की मूल - वाणी-रूप आगम- यात्रा' ही बन गई, बीच-बीचमें छोटे-छोटे मुकाम पर रुकती हुई इस यात्रा में अन्य साहित्यों का भी सर्जन हुआ लेकिन मुनिजी का पूरा लक्ष्य आगमशास्त्र ही बना रहा | आगम संबंधी कई प्रकाशन हुए जैसे की- ४५ - आगम मूल ४५-आगम गुजराती- अनुवाद, ४५ आगम हिंदी - अनुवाद, ४५ - आगम सटीक ४५-आगम सटीक गुजराती अनुवाद, ४५ - आगम कथानुयोग, ४५- आगम सद्दकोसो, ४५- आगम नामकोसो, ४५- आगम विषय दर्शन, ११ आगम का इंग्लिश-अनुवाद, आगम- मंजूषा, ४५ आगम प्रताकार इत्यादि । इस दौरान आया “Net-युग” दीपरत्नसागरजी के सभी प्रकाशन jainelibrary.org की मदद से सन 2009 से नेट / वेबसाइट पर उपलब्ध होने लगे | 31 साल बाद ये यात्रा 555 प्रकाशनों के मुकाम तक पहुंची है । संस्कृत, प्राकृत, हिन्दी, गुजराती, इंग्लिश 5 भाषाओं के माध्यम से विश्व को 1,00,013 पृष्ठो की भेंट करनेवाले मुनिजीने तत्त्वार्थसूत्र पर प्राप्त 84 कृतियोंके 27930 पृष्ठो को एक DVD में संकलित किया है, मुनिजी के खुदके पूरे साहित्य की भी DVD पब्लिश हुई है | दो DVD के माध्यम से दीपरत्नसागर ने विश्व को अब तक 1,27,943 पृष्ठो की भेंट समर्पित की है । मुनिश्री ने 11 यंत्रो का भी संकलन किया है Total Books 555 [1,00,013 Pages] Muni Deepratnasagar's 555 [4] Publications on 03/07/2015
SR No.031006
Book TitleMuni Deepratnasagarji ki 555 Sahitya Krutiya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherDeepratnasagar
Publication Year2015
Total Pages40
LanguageHindi
ClassificationPublishers & Catalogue
File Size12 MB
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