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________________ गुरु-शिष्य पसंद हैं?' तब उसने कहा, 'अच्छा नहीं लगता फिर भी आते हैं। तो अब किस तरह बंद हों? उसका क्या उपाय करूँ?' आप क्या उपाय करोगे? इसमें दोष किसका है? गुरु का? प्रश्नकर्ता : जिसे विचार आते हैं, उसका। दादाश्री : हाँ, इसलिए मैंने उससे क्या कहा कि "भाई, यदि ऐसे खराब विचार आएँ कि 'यह नालायक है और इतने खराब है', तो वैसे विचार आना अपने हाथ में नहीं है। तो तब तुझे बोलना चाहिए कि 'बहुत उपकारी हैं।' मन 'खराब हैं', बोलता रहे, तो तुझे बहुत उपकारी हैं' ऐसे बोलना चाहिए। जिससे कि प्लस-माइनस होकर खत्म हो जाएगा। इसलिए यह उपाय बताता गुरुभक्ति तो खोजाओं की उस समय तो मैंने उन खोजा लोगों का देखा था कि सभी एक गुरु को मानते थे, कहते थे समर्थ गुरु हैं हमारे! अमरीका में जाकर एक गुरु ने शादी की इसलिए उनके भक्त, नालायक है, नालायक है, कहने लगे। सभी शिष्य विरोधी हो गए कि ऐसा गुनाह नहीं करना चाहिए। अरे, तुम्हारे गुरु को नालायक कहते हो? आप नमस्कार किसे करते थे? तब मुझे कहता है, 'ऐसे गुरु नालायक नहीं कहलाएँगे?' मैंने कहा, 'इन खोजा लोगों को पूछकर देखो। उनकी विशेषता यह लगी कि उनके भक्त सबसे उच्च लगे पूरी दुनिया में। उन्होंने फ़ॉरेन की लेडी के साथ शादी की, तो भी उनके भक्त उत्सव मनाते हैं, और हम यहाँ के कोई गुरु उनकी जाति में शादी कर लें, तो भी मारमारकर फज़ीता कर देते हैं। खोजा लोग तो गुरु ने फ़ॉरेनवाली से शादी की तो भी उत्सव मनाते हैं। उनके शिष्य तो कहेंगे, 'भाई, उन्हें सभी अधिकार हैं, ना नहीं कह सकते!' हमें तो तुरंत उत्सव मनाना चाहिए। तो यहाँ उनके सभी फॉलोअर्स बहुत खुश हो गए! यहाँ तो जुलूस निकाला उन लोगों ने! गुरु करें वह नहीं करना है, हमें तो गुरु कहे वह करना है। पूरी दुनिया में गुरु बनाना यदि किसीको आया हो तो वह इन खोजा
SR No.030116
Book TitleGuru Shishya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year2012
Total Pages158
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
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