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________________ ६० समझ से प्राप्त ब्रह्मचर्य (उत्तरार्ध) यदि यहाँ स्त्री-पुरुष का ब्रह्मचर्य पालन किया जाए, तब तो देवलोक जैसा सुख होगा। फिर तो संसार देवलोक जैसा लगेगा। जो दृष्टि नहीं गड़ाए वह जीत गया। दृष्टि गड़ाई कि खत्म हो गया। दृष्टि तो गड़ानी ही नहीं चाहिए। प्रश्नकर्ता : आपने जो परपुरुष और परस्त्रीगमन का भय सिग्नल दिखाया, उसका 'कैज्युअल कनेक्शन' (नैमित्तिक अनुसंधान) क्या है? दादाश्री : अपने यहाँ पर ज्ञान लेने के बाद भी ऐसे दोष करनेवाला तो सीधा नर्क में जाएगा। क्योंकि ज्ञान लेने के बाद तो दगा कहलाएगा। ज्ञानी के साथ दग़ा कहलाएगा और सत्संग के साथ भी दगा कहलाएगा। भयंकर दगा कहलाएगा, इसलिए नर्क का अधिकारी हो जाएगा। इसीलिए हम बार-बार सावधान करते रहते हैं। आज के लोगों को जो विषय हैं, ऐसे तो जानवरों में भी नहीं होते। यह तो कलियुग की निशानी है। बेचारे दुःख और जलन में सारा दिन मेहनत करते हैं और फिर होश ही नहीं रहता न! और यह माल कहीं फिर से मनुष्य में आए, ऐसा माल नहीं है। यह तो भटकते रहनेवाला माल है सारा। पहले का जो पुराना माल था, वह तो एक पत्नीव्रतवाला था। क्योंकि पुराना माल तो चारित्र को समझता था कि मेरी बेटी ऐसी नहीं होनी चाहिए, ऐसा सब वह समझता था कि यदि मैं किसी का नुकसान करूँगा, तो कोई मेरे यहाँ भी नुकसान पहुँचाएगा और फिर खुद की बेटी भी ऐसी ही बनेगी। शील के लुटेरे, नर्काधिकारी प्रश्नकर्ता : नर्क में ज़्यादातर कौन जाता है? दादाश्री : शील के लुटेरों के लिए सातवाँ नर्क है। जितनी मिठास आई थी उससे अनेक गुना कड़वाहट का अनुभव करे, तब वह तय करता है कि अब वहाँ नर्क में नहीं जाना है। यानी इस जगत् में यदि नहीं करने जैसा कुछ है तो वह यह है कि किसी का शील मत लूटना। कभी भी दृष्टि मत बिगड़ने देना। शील लूटने के बाद नर्क में जाएगा और वहाँ मार
SR No.030110
Book TitleSamaz se Prapta Bramhacharya Uttararddh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year2013
Total Pages326
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
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