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________________ एक पत्नी व्रत का अर्थ ही ब्रह्मचर्य ५५ प्रश्नकर्ता : लेकिन इन ब्रह्मचारियों जैसा परिणाम तो नहीं आएगा न? दादाश्री : वह तो भूत को साथ में रखना ही पड़ेगा न! और वह स्त्री भी ऐसा समझती कि मुझे इस भूत को रखना पड़ रहा है। यानी यह मुसीबत तो है ही न! एक बार मुहर लग गई फिर तो क़रार नहीं टूट सकता न! जबकि ब्रह्मचारी का तो कोई नाम नहीं ले सकता न? कोई दावा ही नहीं कर सकता न? इसलिए उसके जैसा तो कुछ भी नहीं। प्रश्नकर्ता : तो सिन्सियरली एक पत्नीव्रत का पालन करें तो कोई परेशानी नहीं होगी न? दादाश्री : फिर अपनी इन पाँच आज्ञाओं का पालन किया तो मोक्ष हो जाएगा। सिर्फ ये पाँच आज्ञाओं का पालन करना चाहिए और एक पत्नीव्रत का पालन करे तो बहुत अच्छा कहा जाएगा। वह ब्रह्मचर्य जैसा ही फल देगा। प्रश्नकर्ता : लेकिन इतने समय तक ब्रह्मचर्य की जो भावना की है, ब्रह्मचर्य के जो बीज डाले हैं, तो अगले जन्म में दीक्षा मिलेगी न? दादाश्री : उसकी चिंता करके आपको क्या करना है? इस समय तो अभी का झंझट सुलझाना है। अगले जन्म का झंझट आज करें तो क्या होगा? इस समय आपकी क्या स्थिति है? अभी आपको खुद के दोष दिखाई देते हैं न? लोगों के दोष नहीं दिखने चाहिए। खुद के दोष दिखने चाहिए। यदि किसी के दोष दिखाई देते हों तो प्रतिक्रमण करना पड़ेगा। ऐसा सब देखना है। दूसरा, अगले जन्म का झंझट तो अपने आप हो जाएगा। वह तो जैसी परीक्षा दोगे, जैसा पढ़ा होगा, वैसा ही होगा। अगला जन्म ही तो मार्क्स (परिणाम) है। हक़ का भी नोर्मेलिटी में प्रश्नकर्ता : एक पत्नीव्रत को हक़ का विषय कहते हैं, वह भी
SR No.030110
Book TitleSamaz se Prapta Bramhacharya Uttararddh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year2013
Total Pages326
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
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