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________________ एक पत्नी व्रत का अर्थ ही ब्रह्मचर्य में पच्चीस-पचास लोग ऐसे निकलेंगे, लेकिन वे भी फिर जड़ भाववाले होते हैं, बुद्धिपूर्वक नहीं, अबुद्धिपूर्वक के और वह भी उनके पुण्य के आधार पर होता है । शादी चार से करो, लेकिन उन्हीं के प्रति सिन्सियर यह तो, और कोई चारा नहीं हो तो शादी करना, ऐसा कहा है और शादी करो तो एक पत्नीव्रत का पालन करना, कहा है। एक पत्नीव्रत का पालन कर रहा हो और यह दूषमकाल होने के बावजूद भी यदि अन्यत्र दृष्टि नहीं बिगड़े तो उसे ब्रह्मचर्य कहा है। ५१ प्रश्नकर्ता : मान लीजिए कि दो वाइफ हों तो उसे किस दृष्टि से खराब कहा जाएगा ? दादाश्री : लाओ न दो वाइफ, शादियाँ करने में हर्ज नहीं है । पाँच शदियाँ करो तो भी हर्ज नहीं है। लेकिन अन्य स्त्री पर दृष्टि बिगाड़े, अन्य स्त्री जा रही हो और उस पर दृष्टि बिगाड़े तो वह गलत कहा जाएगा। कुछ नीति-नियम तो होने चाहिए न ? प्रश्नकर्ता : मेरे पास कोई प्रिन्सिपल्स (सिद्धांत) नहीं है। दादाश्री : तो क्या जानवर जैसा रखने की ज़रूरत है? जानवर की तरह रखें तो सब छूट ही होती है। आपको जैसा अनुकूल आए वैसा करना। इन मनुष्यों ने, उनके मानवधर्म की रक्षा हो, इसलिए यह व्यवस्था की है। वर्ना जानवर में ही गया न फिर तो ! फिर वह जानवर में ही माना जाएगा न? क्योंकि जैसे किसी की बहन-बेटी है, वैसे ही अपनी भी बहन-बेटी होती हैं, तो हमें सेफसाइड रखनी चाहिए न ? जैसी अपनी बहन-बेटी वैसी ही किसी और की बहन-बेटी । I फिर से शादी करने में आपत्ति नहीं है । मुसलमानों में एक नियम बनाया गया है कि बाहर दृष्टि नहीं बिगड़नी चाहिए। बाहर किसी को नहीं छेड़ना चाहिए। यदि आपको एक स्त्री से संतोष नहीं है तो दो रखो। उन लोगों ने नियम बनाया है कि 'चार तक की तुम्हें छूट है !' यदि आपको
SR No.030110
Book TitleSamaz se Prapta Bramhacharya Uttararddh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year2013
Total Pages326
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
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