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________________ दृष्टि दोष के जोखिम ३७ दादाश्री : इन लोगों ने तो विषय के विज्ञापन छापे और सभी लोगों को उस तरफ मोड़ा और फिर भी देखो जलन, देखो जलन, तू मुंबई में जा तो सही! नंगे नाच-गाने देखते हैं, फिर भी जलन! आजकल तो सभी ओर यही तूफ़ान चल रहा है न? और उसकी वज़ह से जलन भी बेहद पैदा हुई है। ऐसी जलन पैदा हुई है कि शराब भी पीनी पड़ती है। स्त्री रखनी पड़ती है। सबकुछ मिलता है फिर भी उसे शांति नहीं होती। इसलिए फिर उसे मन में ऐसा होता है कि आत्महत्या कर लूँ। फिर पूरा दिन पीता रहता है। फिर देखो रात-दिन जलन, जलन और जलन ! ऐसा होता है फिर! प्रश्नकर्ता : रास्ता ही नहीं मिले तो क्या करे? दादाश्री : रास्ता दिखानेवाला कोई है ही नहीं। हर कोई विषय का मार्ग ही दिखाता है। माँ-बाप भी कहेंगे कि, 'शादी कर ले, भई। हम खुद तो फँसे हुए है, तुझे भी फँसाए बगैर हम रहेंगे ही नहीं न!' प्रश्नकर्ता : उसमें यदि कोई ब्रह्मचर्य की ओर जाए, उसके तो सभी विरोधी हो जाते हैं। दादाश्री : हाँ, लोगों को नाम चलाना है, 'मेरे बेटे के बेटे ने नाम कमाया है' कहेंगे! फिर वह फँसे तो भले ही फँसे, लेकिन 'मेरा नाम तो हो जाए,' कहेंगे!
SR No.030110
Book TitleSamaz se Prapta Bramhacharya Uttararddh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year2013
Total Pages326
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
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