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________________ दृष्टि दोष के जोखिम ३५ प्रश्नकर्ता : एक्ज़ेक्ट है दादा, हन्ड्रिड परसेन्ट करेक्ट है। दादाश्री : तब लोगों में क्यों ऐसी पोल (जान-बूझकर दुरुपयोग करना, लापरवाही) चल रही होगी? कोई भान ही नहीं है कि कहाँ जा रहे हैं ? 'ज्ञानीपुरुष' से विषय की बातें सुनी नहीं हैं, वर्ना विषय रहता ही नहीं, गायब ही हो जाता! प्रश्नकर्ता : विषय के विरुद्ध बोलें तो बल्कि जगत् के लोग पागल कहते हैं कि 'यह ओल्ड माइन्डेड है।' दादाश्री : ऐसा नहीं बोल सकते और ऐसा कानून भी नहीं है न! और यह विषय है तो शादीवाले हैं, ये बाजेवाले हैं, ये मंडपवाले हैं। यानी यह है, तो बाकी सबकुछ है, इसलिए कुछ कह नहीं सकते। यह तो जिन्हें मोक्ष में जाना है, उनके जानने योग्य बात है। अन्य किसी को ऐसा जानने की ज़रूरत ही नहीं है न! ये विषय तो बुद्धि से दूर हो पाएँ, ऐसा है। मैंने विषयों को बुद्धि से ही दर किया था। ज्ञान नहीं हो, फिर भी बुद्धि से विषय जा सकते हैं। यह तो कम बुद्धिवाले हैं, इसलिए विषय रहा हुआ हैं। प्रश्नकर्ता : क्या ये बुद्धिशाली भी विषयों का वेरीफिकेशन' नहीं करते? ___ दादाश्री : नहीं, बुद्धिशाली ने विषय का 'वेरीफिकेशन' किया ही नहीं है। बल्कि बुद्धिशाली ही विषय में गहरे उतरे हैं। अरे! यह मरीन ड्राइव और सब जगह जाकर तू उनके विषय देखे तो ऐसा ही समझेगा कि ये मनुष्य हैं या पशु हैं ? टब के अंदर नहाते हैं और वह भी इत्र लगाकर। जहाँ दुर्गंध होती है, वहाँ पर हमेशा क्या करना पड़ता है? प्रश्नकर्ता : हाँ, इत्र लगाना पड़ता है। लेकिन पिछले कितने ही समय से किसी ने ऐसा रास्ता ही नहीं बताया कि इन विषय से बाहर भी कहीं सुख है। दादाश्री : महावीर भगवान ने यह रास्ता बताया, लेकिन किसी ने
SR No.030110
Book TitleSamaz se Prapta Bramhacharya Uttararddh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year2013
Total Pages326
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
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