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________________ समझ से प्राप्त ब्रह्मचर्य (उत्तरार्ध) स्त्री परिग्रह है, तब तक व्यावहारिक गुणस्थानक आठवें से आगे नहीं बढ़ सकता। वह जब ब्रह्मचर्यव्रत का पालन करेगा, उसके बाद नौवा गुणस्थानक पार कर सकेगा। १८६ प्रश्नकर्ता : ब्रह्मचर्य में आने के बाद बारहवें गुणस्थानक में जा सकते हैं? दादाश्री : नहीं। बारहवें गुणस्थानक में नहीं जा सकते। इस काल में मैं ही दसवें गुणस्थानक तक पहुँच पाया हूँ न ? हमारा निश्चय से बारहवाँ और व्यवहार से दसवाँ गुणस्थानक है । प्रश्नकर्ता: स्त्री के साथ में पुरुष हो तो स्त्री का गुणस्थानक आगे बढ़ सकता है क्या ? दादाश्री : नहीं बढ़ सकता ! हमें बढ़ाने से कोई मतलब भी नहीं है। उनके लिए तो जो है वह ठीक है । उनसे तो कहें कि 'इतना करो' और वह करती रहे तो बहुत हो गया । रास्ता उन्हें दिखाया है। उन्हें कुछ ऐसी उछल-कूद करने की ज़रूरत नहीं है, वर्ना कल सवेरे पति को निकाल बाहर करेगी कि 'मुझे आपसे कोई मतलब नहीं है ।' 1 स्त्री बाधक नहीं है, अज्ञान बाधक है । स्त्री कितनी बाधक है ? जिस जन्म में मोक्ष में जाना हो सिर्फ उस जन्म में अंतिम दस, पंद्रह या पच्चीस साल स्त्री की गैरहाज़िरी होनी चाहिए। तभी वह गुणस्थानक में आगे बढ़ पाएगा, वर्ना वह गुणस्थानक नहीं चढ़ सकता । नौवे गुणस्थानक में कब पहुँचता है ? कि स्त्री जिसके यहाँ नहीं हो या फिर स्त्री भले ही हो लेकिन उसे स्त्री के विचार नहीं आएँ, विचार और वर्तन नहीं हों । स्त्री से कोई एतराज़ नहीं है। स्त्री कुछ बाधक नहीं है । लेकिन यदि स्त्री के विचार और वर्तन नहीं हों, तो वह नौवा गुणस्थानक पार करके दसवें में आता है। इस काल में ‘व्यवहार' दसवें गुणस्थानक से आगे नहीं बढ़ सकता और 'निश्चय' बारहवें गुणस्थानक तक पहुँच सकता है ! 'अक्रम मार्ग' में आपको अन्य कोई परिषह तो हैं नहीं, लेकिन आपको स्त्री परिषह है न! स्त्री परिषह में नाटकीय कैस रह पाओगे ? यह
SR No.030110
Book TitleSamaz se Prapta Bramhacharya Uttararddh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year2013
Total Pages326
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
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