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________________ [१०] आलोचना से ही जोखिम टले व्रतभंग के व्रत भंग से मिथ्यात्व की जीत भगवान ने क्या कहा है कि व्रत तो यदि तू खुद तोड़ेगा तभी टूटेगा, कोई क्या तुड़वा सकता है? ऐसे किसी के तुड़वाने से व्रत टूट नहीं जाता। व्रत लेने के बाद यदि व्रत का भंग हो तो आत्मा भी चला जाता है। व्रत लेने के बाद तेरा व्रत भंग हआ है और उस जोखिमदारी के ये सारे परिणाम आए हैं। वे तो तुझे सहन करने ही पड़ेंगे। व्रत लिया हो तो आप उसका भंग नहीं कर सकते और भंग हो जाए तो बता देना चाहिए कि 'अब मेरा चलन खत्म हो गया है।' प्रश्नकर्ता : मैंने आपसे बात की थी कि अब वापस व्रत लेना पड़ेगा। दादाश्री : तूने बात की थी लेकिन कुछ समय बाद वे सब बातें हुई थीं। अतः उसमें तो बहुत जोखिम है। उसके कारण तो सारा लश्कर सजीवन हो गया। मिथ्यात्व लश्कर चारों ओर से सजीवन हो गया, जो अब सवार हो गया है। इसलिए अभी थोड़े टाइम दंड भोगना। फिर से वापस सब सेट करना पड़ेगा। दंड में तो क्या है ? अब रविवार के दिन एक ही बार दूध पीकर उपवास करना और उस दिन ज़्यादा समय तक सामायिक करना, प्रतिक्रमण और पश्चाताप करना। प्रश्नकर्ता : उल्टे रास्ते इतने ज़ोर से फोर्स आता है, और सभी तरह के विचार भी आते हैं। सभी तरह की ट्रिक्स, हर तरह का सामने लाकर रख देता है।
SR No.030110
Book TitleSamaz se Prapta Bramhacharya Uttararddh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year2013
Total Pages326
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
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