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________________ लो व्रत का ट्रायल १४९ प्रश्नकर्ता : हाँ, लेकिन दोनों एक होकर आएँ तभी संभव हो सकेगा। दादाश्री : हाँ। प्रश्नकर्ता : लेकिन यदि पुरुष की इच्छा ब्रह्मचर्य पालन की हो और स्त्री की नहीं हो तो क्या करना चाहिए ? दादाश्री : नहीं हो तो उसे क्या परेशानी है ? समझा देना । प्रश्नकर्ता : कैसे समझाऊँ ? दादाश्री : वह तो समझाते - समझाते रास्ते पर आ जाएगा, धीरे-धीरे । एकदम से बंद नहीं होगा। समझाते - समझाते । दोनों समाधानपूर्वक मार्ग अपनाओ न! इसमें क्या नुकसान है, ऐसी सब बातें करना और ऐसे विचार भी करना। प्रश्नकर्ता : पुरुष ने ज्ञान लिया है लेकिन स्त्री ने ज्ञान नहीं लिया है। पुरुष को मालूम है कि यह ब्रह्मचर्य..... दादाश्री : वह नहीं चलेगा । स्त्री को भी ज्ञान दिलवाना चाहिए। शादी क्यों की थी ? प्रश्नकर्ता : लेकिन पुरुष की भावना होते हुए भी स्त्री को ज्ञान दिलवाना संभव नहीं हो पाता । दादाश्री : ऐसा नहीं हो पाए तो संयोगों को समझना ! तब तक संयोगों के आधार पर रहना पड़ेगा न, थोड़े समय तक ! बीज में से बाली अगले जन्म में प्रश्नकर्ता : अब्रह्मचर्य का माल भरा हुआ हो और खुद, उसे बदलने के प्रयत्न करे, यानी जो पूरा पुरुषार्थ करे तो उसका फल आएगा न ? दादाश्री : उसका फल अगले जन्म में आएगा। अगले जन्म में
SR No.030110
Book TitleSamaz se Prapta Bramhacharya Uttararddh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year2013
Total Pages326
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
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