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________________ ब्रह्मचर्य का मूल्य, स्पष्टवेदन - आत्मसुख १३९ विश्वास हो जाए कि यही सच है। आत्मा की अनंत शक्ति है। कुछ लोगों को ब्रह्मचर्यव्रत लेने के बाद चमत्कार होता है। फिर बहुत सुंदर परिणतियाँ रहती हैं और फिर मन में विषय के विचार ही बंद हो जाते हैं। फिर उन्हें विषय अच्छा ही नहीं लगता! मनुष्य को सुख ही चाहिए। वह सुख यदि मिल रहा हो तो फिर कोई भी कीचड़ में हाथ डालने को तैयार नहीं होगा। यह तो बाहर गरमी लगती है इसलिए कीचड़ में हाथ डालता है, ठंडक के लिए, वर्ना कीचड़ में कोई हाथ डालता होगा? लेकिन क्या हो? अब आपको एक बार अनुभव से समझ में आया कि बिना विषय के इस ज्ञान में बहुत सुंदर सुख रहता है। इसलिए फिर आपको विषय में रुचि खत्म होती जाएगी। यह ज्ञान ऐसा है कि विषय के बिना भी बहुत सुंदर सुख रहता है। इसलिए फिर सारे विषय अपने आप स्वयं ही छूट जाते हैं, सभी खत्म हो जाते हैं, लेकिन जब सब अनुभव कर-करके समझ में फिट हो जाए, तब ऐसा हो सकता है। समझना ब्रह्मचर्य की अनिवार्यता ब्रह्मचर्य तो बहुत बड़ी चीज़ कहलाती है! हिन्दुस्तान में लोग ब्रह्मचर्य पालन करते हैं न? नहीं पालन करते ऐसा नहीं है, लेकिन वह वैज्ञानिक तरीके से नहीं है। अहंकार से हैं। अहंकार से हो सकता है, लेकिन वह वैज्ञानिक ढंग जैसा नहीं होता, वह निर्बल होता है। जबकि निरअहंकारी ढंग से तो 'खुद' ज्ञाता-दृष्टा रहता है, 'चंदूभाई' कैसा ब्रह्मचर्य पालन कर रहे हैं उसे 'खुद' यह जानता है, जबकि अहंकारी ढंग में तो खुद ही ब्रह्मचर्य का पालन करनेवाला है। वह वैज्ञानिक तरीका नहीं है। ब्रह्मचर्य तो जगत् भी पालता है, लेकिन वह वैज्ञानिक नहीं है। अक्रम मार्ग में अपने पास वैज्ञानिक तरीका है, मन-वचन-काया से हैं। मन कूदे तो जगत् के लोगों के पास उसके लिए कोई दवाई नहीं है। जबकि अपने पास दवाई है। अपना ब्रह्मचर्य तो देवगण भी देखने आते हैं। अब्रह्मचर्य और शराब, ये दोनों तो ज्ञान पर बहुत आवरण लानेवाली चीजें हैं, इसलिए बहुत जागृत रहना। शराब तो ऐसा है न कि 'मैं चंदूभाई
SR No.030110
Book TitleSamaz se Prapta Bramhacharya Uttararddh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year2013
Total Pages326
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
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