SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 148
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ विषय वह पाशवता ही १११ यह दुनिया क्या बदलनेवाली है? दुनिया तो अपने रंग-ढंग से ही चलती रहेगी। डबलबेड ही खरीदकर लाएँगे। मैं बाहर आपत्ति उठाऊँ तो लोग पागल कहेंगे, मैं आपत्ति उठाऊँ ही नहीं न और मुझे पागल कहें ऐसा कहूँ भी नहीं। बल्कि वे यदि पूछने आएँ कि 'हम डबलबेड ला रहे हैं, उसमें कोई हर्ज नहीं न?' तो कहूँ, 'नहीं भाई, मुझे कोई हर्ज नहीं है। थ्री बेड रखो न साथ में, क्या हर्ज है उसमें?' वह तो, जिसे यह (ज्ञान की) प्राप्ति हुई है, उनके लिए यह बात है। इस बारे में सोचा ही नहीं है न? ऐसा किसी ने बताया ही नहीं, इसके लिए तो उलाहना ही नहीं दिया किसी ने, समझाया ही नहीं। बल्कि इसे प्रोत्साहन देते रहे कि डबलबेड होना चाहिए। ऐसा चाहिए, वैसा चाहिए.... डबलबेड का सिस्टम बंद करो और सिंगल बेड का सिस्टम रखो। पहले हिन्दुस्तान में कोई व्यक्ति इस तरह नहीं सोता था। कोई भी क्षत्रिय नहीं। क्षत्रिय तो बहुत पक्के होते हैं लेकिन वैश्य भी नहीं। ब्राह्मण भी ऐसे नहीं सोते थे, एक भी व्यक्ति नहीं! देखो, काल कैसा विचित्र आया है ! अपने यहाँ तो घर में अलग रूम नहीं देते थे पहले। पहले तो कभी किसी दिन ही पत्नी से भेंट हुई तो हुई वर्ना राम तेरी माया! बड़े कुटुंब होते थे यानी संयुक्त कुटुंब होते थे। और आज तो रूम तो अलग हैं ही, लेकिन बेड भी स्वतंत्र, डबलबेड। यह तो बहुत सूक्ष्म बात निकल रही है। सोए आँगन में पति और पत्नी कमरे में प्रश्नकर्ता : आपका वाक्य निकला था न कि पुरुषों के स्त्रियों के साथ सोने से, इतने बड़े मर्द आदमी स्त्रियों जैसे हो जाते हैं। दादाश्री : हो ही जाएँगे न! अरे, कहीं एक बिस्तर में सोया जाता होगा! अरे! कैसे आदमी हैं ये? उस स्त्री की शक्ति भी नष्ट हो जाती है और दूसरा, उसकी शक्ति, दोनों की शक्ति डिफॉर्म हो जाती है।
SR No.030110
Book TitleSamaz se Prapta Bramhacharya Uttararddh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year2013
Total Pages326
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy