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________________ विषय वह पाशवता ही छोटा हो तब से ऐसा ही समझता है कि, 'तेरे पापा कहाँ सोते हैं ?' तब कहता है ‘डबलबेडवाले रूम में और मैं वहाँ उस रूम में सोता हूँ।' वह समझता है कि डबलबेड पहले से ही चल रहा है ! प्रश्नकर्ता : यह जो सोने की प्रथा है, ये कुछ प्रथाएँ ही गलत हैं ? दादाश्री : ये सभी प्रथाएँ गलत हैं । यह तो समझदार प्रजा नहीं है न, इसलिए सब उल्टा घुसा दिया है । फिर लड़के-लड़कियाँ ऐसा ही मान लेते हैं कि ऐसा ही होता है, यही मुख्य चीज़ है । उसमें भी यदि स्त्री का चित्त हमेशा उसके पति में ही रहता हो तो हर्ज नहीं है। I प्रश्नकर्ता : लेकिन वह हमेशा रहता नहीं है न ? दादाश्री : अरे ! जब दूसरा कुछ देखे तो फिर दूसरा झमेला खड़ा करते हैं। यानी झंझट है। यह जड़ से उखाड़ लेने जैसी चीज़ है। इसी वजह से सारा संसार कायम है। १०९ स्त्री - संग छूटे, तो हो जाए भगवान पुरुष यदि स्त्रियों का संग पंद्रह दिनों के लिए छोड़ दे न, पंद्रह दिन दूर रहे, तो भगवान जैसा हो जाएगा। प्रश्नकर्ता : पंद्रह दिन यदि पत्नी से दूर चले जाएँ तो वे फिर शक करेंगी हम पर। दादाश्री : वह कुछ भी कहो, वह सब वकालत है। कितनी भी बहस करो तो चलता है वकालत में । जीतेंगे सही, लेकिन वे एक्ज़ेक्ट प्रमाण नहीं हैं। हम कहते हैं, अकेले अलग कमरे में सोने के लिए, क्या साइन्स होगा उसमें ? साइन्टिफिक कारण है इसके पीछे । सालभर अलग रहने के बाद आप यदि एक ही पलंग पर सोने जाओगे तो जिस दिन वह पूरे दिन बाहर गर्मी में तपकर, जब घर पर आए तो पसीने की दुर्गंध आएगी आपको। और स्त्री को भी पसीने की दुर्गंध आएगी। दुर्गंध उत्पन्न होगी। साथ-साथ में सोने से दुर्गंध का पता नहीं चलता । नाक की इन्द्रिय बेकार
SR No.030110
Book TitleSamaz se Prapta Bramhacharya Uttararddh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year2013
Total Pages326
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
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