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________________ दादा देते पुष्टि, आप्तपुत्रियों को (खं-2-१८) होता है, लड़कियों को, इसलिए पालन नहीं कर सकतीं। जिसे मोह कम हो उसे फिर अगर हम दवाई दे दें तो वे ऑलराइट हो जाती हैं। इस विवाह - संबंध के स्वरूप को तो देखो सभी लोग कहें, तब एक बार तुम्हें ठीक लगे तो शादी कर लेना। यह कहीं हज़ार-दो हज़ार साल का विवाह नहीं है । यह तो पच्चीस साल या पचास साल का क़रार है। लंबे क़रार नहीं हैं न? लंबे क़रार हों तो शादी नहीं करनी चाहिए। ये तो छोटे क़रार, शोर्ट क़रार हैं। ये क्या लंबे क़रार है ? और उसमें भी अलग होने की सरकार ने छूट दी है न ? छूट नहीं दी ? प्रश्नकर्ता हाँ, दी है। ४११ दादाश्री : यानी शादी कर लेना अच्छा है। कैसा भी नहीं ! आपको पसंद आए उसके साथ। शादी हमेशा सुख देगी, ऐसा नक्की नहीं होता। शादी दुःख भी देती है। अभी जब तक संसार का मोह है, तब तक दुःख भुगतना पड़ेगा न ? वर्ना जिसे ब्रह्मचर्य पालन करना हो उसे कोई दुःख ही नहीं है, झंझट ही नहीं है न! लेकिन यदि निर्बलता खड़ी हो रही हो, तो उसके बजाय शादी कर लेना अच्छा है, वर्ना ऐसा करते-करते चालीस साल हो जाएँगे और बाद में एक भी लड़का नहीं मिलेगा। अभी तुम्हें तीस-बत्तीस साल हुए हैं, तो बत्तीस - पैंतीस साल का लड़का मिल जाएगा। प्रश्नकर्ता : लेकिन अगर मुझे ब्रह्मचर्य ही पालन करना हो तो क्या करना चाहिए ? दादाश्री : तो फिर मन में विषय का विचार आए, उस समय उस विचार को, हम जो साबुन देते हैं उससे धो देना और किसी की आँखों के साथ आँखें मत मिलाना और यदि दृष्टि मिल जाए तो उसे धो देना । हम सभी तरह का साबुन देते हैं ताकि
SR No.030109
Book TitleSamaz se Prapta Bramhacharya Purvardh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year2014
Total Pages482
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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