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________________ ३८६ समझ से प्राप्त ब्रह्मचर्य (पू) नहीं जाता, दूसरे जन्म में फिर हेल्प करता है, मतलब हेल्प तो करता ही है। इस जन्म में ही यदि तीन-चार बार फिर से ज्ञान ले और पैंतीस साल की उम्र में फिर से ज्ञान ले तो वापस राह पर आ तो जाएगा। हमारे नाम से और वचनबल से दो-तीन साल तक रहा तो उतना तो साफ रहेगा और जब शादी करनी होगी तब देख लेंगे, लेकिन उससे पहले तो नहीं बिगड़ेगा। आज का ज़माना विचित्र है इसलिए हम इन सभी लड़कों को ब्रह्मचर्य व्रत दे देते हैं, और उस दबाव से और हमारे वचनबल से उतना तो साफ रहेगा। बाद में शादी करे तो भी उसका साफ रहेगा न? नहीं तो यह ज़माना तो इतना विचित्र है कि इंसान उलझ जाए। कितने दंपत्तियों ने तो साथ में ब्रह्मचर्य व्रत लिया है और ज्ञान भी लिया है, तो उनका आनंद कुछ और ही है न? ! हम ब्रह्मचर्य व्रत देते हैं, लेकिन स्टेबिलिटि आने के बाद देते हैं। उसके बाद अगर तुम्हारे कर्म के उदय दूसरी तरफ के आ जाएँ फिर भी हमारा वचनबल काम करता है, लेकिन तुम्हारी सतर्कता में कमी नहीं आनी चाहिए । प्रश्नकर्ता : यदि उसके कर्म के उदय में भोग हो, तो फिर वह उसमें पड़ेगा या नहीं? बीच में ही कर्म का उदय आ जाए तो क्या करे ? दादाश्री : नहीं। ज्ञानियों का वचनबल किसे कहते हैं कि जो भयंकर कर्मों को भी तोड़ दे। खुद का निश्चय यदि नहीं डिगे तो भयंकर कर्मों को तोड़ दे। वह वचनसिद्धि कहलाती हैं, ज्ञानियों की लेकिन वे व्रत नहीं देते किसी को । यह कोई लड्डू खाने का खेल नहीं है। हम तो सभी तरह से उसका चारों तरफ से टेस्ट करके बाद में ही देते हैं। ब्रह्मचर्य व्रत यों ही नहीं दे सकते। वह दिया जा सके ऐसा नहीं है, वह देने जैसी चीज़ नहीं है। लेकिन ये जो लड़के ब्रह्मचर्य पालन करते हैं, वे मन-वचन
SR No.030109
Book TitleSamaz se Prapta Bramhacharya Purvardh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year2014
Total Pages482
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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