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________________ जिसे दादा का निदिध्यासन रहता है, उसके सारे ताले खुल जाते हैं। दादा के निदिध्यासन का साक्षात् फल मिलता है। जगत् कल्याण का निमित्त बनने का जिसने बीड़ा उठाया है, उसे दुनिया में कौन रोक सकता है? देवी-देवता भी पुष्पवृष्टि करते हैं। जब से इस मार्ग में आगे बढ़े हैं, तभी से पूर्णाहुति हो सकती है। अगर आप चोखे हो तो आपका नाम देनेवाला कोई नहीं है। १७. अंतिम जन्म में भी ब्रह्मचर्य तो आवश्यक मोक्ष और ब्रह्मचर्य का क्या लेना-देना? काफी कुछ लेना-देना है। ब्रह्मचर्य के बिना आत्मा के अनुभव का पता ही नहीं चलता। यह जो सुख महसूस हो रहा है, वह आत्मा का है या पुद्गल का है, वह पता ही नहीं चलता न। अब, कितने ही अब्रह्मचारी मोक्ष में गए है। वहाँ क्या होता है कि ब्रह्मचर्य के लिए पॉज़िटिव होना चाहिए। नेगेटिववाले को कभी भी आत्मा प्राप्त नहीं होगा। शादी करके ब्रह्मचर्य पालन करे, वह उच्च है या शादी नहीं करके? ज्ञानियों ने शादी करके ब्रह्मचर्य पालन करने को उच्च कहा है। फिर भी मोक्ष में जानेवालों को आखिरी दस-पंद्रह साल तो सर्वसंग परित्याग बरतना ही चाहिए। ब्रह्मचर्य के बिना तो मोक्ष में जाया ही नहीं जा सकता। ब्रह्मचर्य के लिए किसी पर दबाव नहीं डालना चाहिए। ब्रह्मचर्य व्रत एकदम से किसी को नहीं दे सकते। एकाध साल के लिए देकर धीरेधीरे आगे बढ़ सकते हैं। आपका निश्चय और हमारा वचनबल विषय को खत्म कर देगा। अंतराय तोड़ देगा। अक्रम मार्ग में आश्रम जैसा नहीं होता। लेकिन जो ब्रह्मचारी बने हैं, उनके लिए होना चाहिए। ब्रह्मचारियों के संग में रहना पड़ेगा। दादाश्री खुद के बारे में बताते हैं कि हमें ब्रह्मचर्य पालन नहीं करना होता, हमें तो वह बर्तता है। विषय जैसी कोई चीज़ है भी, ऐसा याद तक नहीं आता। शरीर में वे परमाणु ही नहीं हैं न! और खुद भी पूर्वजन्मों से यह माल खाली करते हुए आए हैं। इसलिए बचपन से ही विषय में रुचि नहीं थी। 41
SR No.030109
Book TitleSamaz se Prapta Bramhacharya Purvardh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year2014
Total Pages482
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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