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________________ अंतिम जन्म में भी ब्रह्मचर्य तो आवश्यक (खं-2-१७) ३५५ प्रश्नकर्ता : आपको ऐसा लगे कि इसे शादी करने की ज़रूरत है, तो क्या आप उसे वैसा कहेंगे? दादाश्री : खुशी से। मैं तो उसे कहूँगा कि तू दो शादियाँ कर। प्रश्नकर्ता : नहीं, ऐसे नहीं। आपको ज्ञानदृष्टि से दिखता है? आप ऐसा देख सकते हैं कि इसे शादी करने की ज़रूरत है? दादाश्री : नहीं। ज्ञानदृष्टि से मैं कुछ नहीं देखता। मैं इसमें समय नहीं बिगाड़ता और ज्ञानदृष्टि इस तरह इस्तेमाल करने जैसी है भी नहीं। इसका मतलब क्या हुआ कि भविष्य देखने की आदत पड़ गई और जिसे भविष्य देखने की आदत पड़ जाए, वह तो साधु बाबा कहलाता है। फिर यहाँ भी लोग पूछने आएँगे कि मेरे बेटे के घर बेटा होगा या नहीं? अतः हम इस झंझट में नहीं पड़ते। मुझे तो लोग पूछने आते हैं तो मैं कह देता हूँ कि भविष्य के बारे में तो मैं जानता ही नहीं। कल मेरा क्या होगा? यह भी मैं नहीं जानता! राजा-रानी का तलाक, शादी से पहले एक भाई आया था, कह रहा था, 'मैं शादी नहीं करूँगा।' फिर दो-तीन साल ब्रह्मचर्य पालन किया। फिर एक दिन लडकी को लेकर आया। तब कहने लगा, 'दादाजी, आप ऐसी विधि कर दीजिए कि हम दोनों की शादी हो जाए।' 'अरे, ब्रह्मचर्य लेना था। यह क्या कर रहा है तू?' तब उन लोगों ने क्या कहा? प्रश्नकर्ता : दादाजी के कहते ही उसी क्षण कहा, 'आप कहो तो आज से अलग।' दादाश्री : 'अब आप फिर से हम दोनों की ब्रह्मचर्य की विधि कर दीजिए' कहते हैं। अरे, शादी का जोश चढ़ा था, वह
SR No.030109
Book TitleSamaz se Prapta Bramhacharya Purvardh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year2014
Total Pages482
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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