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________________ ३५० समझ से प्राप्त ब्रह्मचर्य (पू) लाए हैं। इसलिए उन्हें निराई नहीं करनी पड़ती। नींद में भी ब्रह्मचर्य चलता रहता है। नूर झलकता है ब्रह्मचर्य का सचमुच में ब्रह्मचर्य तो वह है कि मुँह पर ज़बरदस्त नूर हो। ब्रह्मचारी पुरुष तो कैसा होता है? इन लड़कों में कहाँ तेज दिखता है? क्योंकि ये सभी ‘ऑवरड्राफ्टवाले' हैं। इसलिए जितनी बैंकों ने उधार दिया, उतना सभी कुछ लेकर आए है। तो अभी जो ब्रह्मचर्य पालन कर रहे हैं, बल्कि वह सारा तो बैंकों में भरभरकर थक गए है। अभी तक बैंकों में 'पार वैल्यू' नहीं आई है। 'पार वैल्यू' होने के बाद चेहरे पर लाइट आएगी। उस लाइट को आते-आते तो बहुत टाइम लगेगा। फिर भी इन्हें चौबीसो घंटे जागृति रहती है। क्योंकि आत्मा प्राप्त हुआ है, इसलिए आत्मा की जागृतिवाले हैं। और इस ब्रह्मचर्य के लिए भी जागृति चाहिए। शायद आत्मा की जागृति नहीं हो और ज़रा सा झोंका आ जाए तो चलेगा, लेकिन ब्रह्मचर्य के लिए तो ज़रा सा भी झोंका खाए तो चलेगा ही नहीं न! चारों तरफ से साँप घुस गए, जिन्होंने ऐसा देखा तो उन्हें नींद नहीं आती। जिन्होंने नहीं देखा, वे सो जाते हैं। साँप देख लेने के बाद कैसे सो सकते हैं? । ये लड़के दीक्षा लेने की भावनावाले हैं। अंदर खुद का मोक्ष तो हो ही गया है। इसलिए उसे ढूँढने की तो इच्छा होती ही नहीं न! खुद का मोक्ष हुआ हो तो जगत् कल्याण करने की भावना होती है, नहीं तो अगर खुद का ही कल्याण नहीं हुआ हो, वहाँ जगत् कल्याण करने की भावना कैसे होगी? ये ब्रह्मचारी क्या कहते हैं कि, 'हमारा तो कल्याण हो गया, अब हमें जगत् का कल्याण करना है, तो हमें क्या करना चाहिए?' तब मैंने उनसे कहा, 'अब शादी कर लो।' तब वे कहते हैं कि 'नहीं, हमें शादी तो करनी ही नहीं है। शादी करने से जगत् का कल्याण करने में दिक्कत आएगी, ऐसा है।' तब मैंने उनसे
SR No.030109
Book TitleSamaz se Prapta Bramhacharya Purvardh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year2014
Total Pages482
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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