SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 40
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ इसलिए उसके लिए बहुत जल्दबाजी करने की ज़रूरत नहीं है। ब्रह्मचर्य का अंतिम फल है, सर्वसंग परित्याग! एक ही सच्चा व्यक्ति हो तो भी जगत् कल्याण कर सकेगा। अधिक से अधिक जगत् कल्याण कब हो सकता है? त्याग मुद्रा होने पर अधिक हो सकता है। गृहस्थ मुद्रा में जगत् का कल्याण अधिक नहीं हो सकता। कुछ कुछ लोगों को प्राप्ति होती है (बड़े पैमाने पर), लेकिन सारी पब्लिक को प्राप्ति नहीं हो सकती। ऊपरी तौर पर पूरे बडे-बडे वर्ग को प्राप्ति हो जाएगी, लेकिन पब्लिक को प्राप्ति नहीं हो पाएगी। और फिर अपना त्याग अहंकार रहित होना चाहिए! अक्रम का चारित्र तो बहुत उच्च कहलाता है! ग़ज़ब का सुख बर्तता है। 'मैं शद्धात्मा हँ', यह निरंतर लक्ष्य में रहे तो वह सबसे महान ब्रह्मचर्य है। ब्रह्म में चर्या, वही है रियल ब्रह्मचर्य। विषय से छूट गया, ऐसा कब कहा जाएगा? जब विषय से संबंधित कोई भी विचार नहीं आए, दृष्टि आकृष्ट नहीं हो तब। १५. 'विषय' के सामने विज्ञान की जागति आकर्षण हो जाए, तो उसमें हर्ज नहीं है, लेकिन उसे पकड़ लिया, तन्मयाकार हो गया तो वह आपत्ति जनक है। आकर्षण के सामने अपना विरोध, वही है तन्मयाकार नहीं होने की वृत्ति। तन्मयाकार हुआ यानी गोता खा गया समझना। कोई जान-बूझकर फिसलता है? चिकनी मिट्टी पर से होकर उतरते समय पैरो की उँगलियों को कैसे दबाकर चलते हैं ? हम गिरने के विरोध में कितना रहते हैं? कोई दादाश्री से पूछे कि दृष्टि पड़ते ही यदि अंदर चंचल परिणाम खड़े हो जाते हैं, तो वहाँ क्या करना चाहिए? उसे दादाश्री विज्ञान बताते हैं, कि दृष्टि 'हम' से अलग चीज़ है। तो फिर अगर दृष्टि पड़े तो उससे हमें क्या हो सकता है? हम नहीं चिपकेंगे तो दृष्टि क्या कर सकती है? होली को देखने से आँखें जल जाती हैं क्या? 'खुद के भीतर की गलती से आकर्षण होता है। एट ए टाइम दोनों दृष्टियाँ रखनी हैं। रियल में शुद्धात्मा देखना है और रिलेटिव में थ्री विज़न देखना है। 39
SR No.030109
Book TitleSamaz se Prapta Bramhacharya Purvardh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year2014
Total Pages482
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy