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________________ फिसलनेवालों को उठाकर दौड़ाते हैं (खं - 2-१६) उसे दुनिया में कौन रोक सकता है ? कोई भी शक्ति नहीं है कि जो उसे रोक सके। पूरे ब्रह्मांड के सभी देव लोग उस पर फूल बरसा रहे है। अतः एक ध्येय तय करो न ! जब से यह तय करोगे, तभी से इस शरीर के ज़रूरतों की चिंता नहीं करनी पड़ेगी। जब तक संसारी भाव है, तब तक ज़रूरतों की चिंता करनी पड़ती है। देखो न, 'दादा' का कैसा ऐश्वर्य है ! यह एक ही प्रकार की इच्छा रहेगी तो फिर उसका हल आ गया। और देवसत्ता आपके साथ है। ये देव तो सत्ताधारी हैं, वे निरंतर हेल्प करें ऐसी उनकी सत्ता है। एक ही ध्येयवाले ऐसे पाँच लोगों की ही ज़रूरत है ! अन्य कोई ध्येय नहीं, डांवाडोल नहीं । अड़चन में भी एक ही ध्येय और नींद में भी एक ही ध्येय ! जिस राह पर चले, बताई वही राह 'दादा' जिस रास्ते से गए है, वही रास्ता आपको बताया है । उसी रास्ते पर 'दादा' आपसे आगे हैं। रास्ता मिलेगा या नहीं मिलेगा ? प्रश्नकर्ता : मिलेगा । दादाश्री : शत प्रतिशत ? पक्का ? प्रश्नकर्ता : हाँ, शत प्रतिशत पक्का ! दादाश्री : 'दादा' तो सभी रोग निकालने आए हैं। क्योंकि 'दादा' संपूर्ण निरोगी पुरुष हैं। उनकी मदद से जो रोग निकालने हों, वे निकल जाएँगे। उनमें कोई भी रोग नहीं है, संसार का एक भी रोग उनमें नहीं है। इसलिए तुम्हें जो जो रोग निकालने हों, वे निकल जाएँगे । ३४१ इसलिए हम तुम्हें कहते हैं कि फिर अपने आप तुम पोल मारोगे तो तुम्हें मार पड़ेगी। हम तुम्हें चेतावनी दे देते हैं। अभी रोग निकल सकेगा, बाद में नहीं निकल सकेगा । यदि मुझ में ज़रा सी भी पोल होती तो तुम्हारा रोग नहीं निकल सकता । हिम्मत आ रही है थोड़ी?
SR No.030109
Book TitleSamaz se Prapta Bramhacharya Purvardh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year2014
Total Pages482
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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