SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 356
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ब्रह्मचर्य प्राप्त करवाए ब्रह्मांड का आनंद (खं-2-१४) ३०३ आज्ञा देनेवाला स्यादवाद हो तो उन्हें जोखिमदारी कैसे आएगी? अतः खुद जोखिम नहीं लेते, इस तरह से आज्ञा देते हैं! यह व्रत, क्या कोई बाजारू चीज़ है? व्रत के बिना इंसान में ब्रह्मचर्य रह सकता है, लेकिन अगर वह सहज भाव से हो तो, वर्ना मन कच्चा पड़ जाता है। यह ज्ञान मिलने के बाद सत्ता खुद के हाथ में आ गई, परसत्ता में होने के बावजूद स्वसत्ता में है। जिसका मन बंधा हुआ नहीं है, उसका मन परसत्ता में काम करता रहता है। बंधे हुए मन के लिए तो दादा का वचनबल काम करता है, उन एविडेन्सेस को तोड़ देता है। ज्ञानीपुरुष का वचनबल संसार की भक्ति तोड़ देता है। यहाँ तो जो माँगोंगे, वह शक्ति मिले, ऐसा है! यहाँ याद न आए तो घर जाकर माँगना। दादा को याद करके माँगोगे तब भी मिले, ऐसा है। दादा से कहना कि मुझ में शक्ति होती तो आपके पास माँगता ही क्यों? आप शक्ति दीजिए। दादा भगवान तो ऐसे हैं कि जो माँगोगे वह शक्ति देंगे! यह तो सब संक्षेप में कहना होता है। इसके लिए कोई विवेचन नहीं करना होता। मार्ग ओपन हुआ है, तो क्यों न माँगे? आजीवन ब्रह्मचर्य, शुरू करवाए क्षपक श्रेणियाँ प्रश्नकर्ता : दादाजी, आप मुझे विधि कर दीजिए, मुझे जिंदगीभर के लिए ब्रह्मचर्य व्रत लेना है। दादाश्री : तुझे दिया जा सकता है और तु पालन कर सकेगा, ऐसा स्ट्रोंगपन है तुझ में, फिर भी जब तक हम विधि न कर लें, तब तक यह भावना करना। दादा तो सोच-समझकर चलते हैं, बहुत सोच-समझकर चलते हैं, इसलिए अभी तू भावना करना, उसके बाद देंगे। इस काल में तो पूरी जिंदगी का ब्रह्मचर्य देने जैसा नहीं है। देना ही जोखिम है। साल भर के लिए दे सकते हैं। बाकी पूरी जिंदगी की आज्ञा ली और यदि वह गिर जाए
SR No.030109
Book TitleSamaz se Prapta Bramhacharya Purvardh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year2014
Total Pages482
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy