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________________ २७८ समझ से प्राप्त ब्रह्मचर्य (पू) कैलेन्डर नहीं रखते, फिर भी उन्हें डिस्चार्ज हो जाता है। तो उनका डिस्चार्ज स्वाभाविक नहीं कहलाएगा? दादाश्री : फिर भी उन्हें मन में यह सब दिखता है। दूसरा, अगर वह भोजन बहुत खाता हो और उसका वीर्य बहुत बने तो फिर वह प्रवाह बह जाता है, ऐसा भी हो सकता है। प्रश्नकर्ता : रात को ज़्यादा खा लिया तो खत्म... दादाश्री : रात को ज़्यादा खाना ही नहीं चाहिए, खाना हो तो दोपहर में खाना। रात को यदि ज्यादा खा लिया तब तो वीर्य का स्खलन हुए बिना रहेगा ही नहीं। वीर्य का स्खलन किसे नहीं होता है? जिसका वीर्य बहुत मज़बूत हो गया हो, बहुत गाढ़ा हो गया हो, उन्हें नहीं होता। ये सब तो पतले हो चुके वीर्य कहलाते हैं। प्रश्नकर्ता : मनोबल से भी उसे रोका जा सकता है न? दादाश्री : मनोबल तो बहुत काम करता है! मनोबल ही काम करता है न! लेकिन वह ज्ञानपूर्वक चाहिए। यों ही मनोबल नहीं रह पाता न! प्रश्नकर्ता : सपने में जो डिस्चार्ज होता है, वे क्या पिछली खामियाँ है? दादाश्री : उसमें कोई शंका नहीं है। वे सभी पिछली खामियाँ स्वप्नावस्था में चली जाती हैं। स्वप्नावस्था के लिए हम गुनहगार नहीं माने जाएंगे। हम जागृत अवस्था को गुनहगार मानेंगे। खुली आँखों से जागृत अवस्था! फिर भी सपने आते हैं। अतः उन्हें बिल्कुल निकाल देने जैसा नहीं है, वहाँ सावधान रहना। स्वप्नावस्था के बाद सुबह पश्चाताप करना पड़ेगा, उसका प्रतिक्रमण करना पड़ेगा कि ऐसा नहीं होना चाहिए। हमारी पाँच आज्ञा का पालन करे तो उसमें कभी भी विषय विकार हो सकें, ऐसा है ही नहीं।
SR No.030109
Book TitleSamaz se Prapta Bramhacharya Purvardh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year2014
Total Pages482
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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