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________________ 'फाइल' के सामने सख़्ती (खं-2-९) २३१ दादाश्री : दूसरी चिपक जाए तो दूसरी से छूटना। जिसे छूटना है, उसे सबकुछ आता है। प्रश्नकर्ता : इसके अलावा, व्यवहार में ज़रूरत से ज़्यादा डूब जाएँ, धंधे-व्यापार में तो अपना ज्ञाता-दृष्टापन कम हो जाता है, ऐसा नहीं है न? दादाश्री : व्यापार ऐसी फाइल नहीं है। यह तो दावा करे ऐसी फाइल है। वह दिन-रात तुम्हारे लिए सोचती रहेगी और तुम्हें दिन-रात बाँधती रहेगी। हम अपने घर हों तो भी व्यापार नहीं बाँधता या फिर जलेबी भी नहीं बाँधती, आम भी नहीं बाँधता। यह जो जीवित है, वह बाँधती है, इसमें क्लेम है न? तुम जो सुख ढूँढ रहे हो उस तरफ का, तो कोई माँगेगा मतलब यह क्लेमवाला है। सुख तो जलेबी खाई और अच्छी नहीं लगी तो फेंक दी। उसके अलावा क्या है? कोई दावा भी नहीं है जलेबी का, कोई हर्ज नहीं। ये सारी हमारी सूक्ष्म खोज हैं। वर्ना छूटेंगे कैसे? तुझे ये बातें बहुत काम आएगी। कितने दिनों से मुझसे पूछता जा रहा है, 'कैसे छूटना?' लेकिन यों ही तो मुझसे कहा नहीं जा सकता, कभी ऐसा कुछ कहूँ तब समझ जाना। यह भी, अगर समझोगे तो हल आएगा, नहीं समझोगे तो फिर... प्रश्नकर्ता : अब जल्दी हल लाने की ज़रूरत है। दादाश्री : घर का बिगड़ेगा, घर में खड़ा नहीं रहने देंगे। प्रश्नकर्ता : बाहर भी अगर बिगड़ गया तो सब जगह बिगड़ जाएगा। दादाश्री : और घर पर भी फ्रैक्चर हो जाएगा। यहाँ पर भी सब फ्रैक्चर हो जाएगा। पूरी रात मेरे लिए किसी को कुछ भी विचार आए कि
SR No.030109
Book TitleSamaz se Prapta Bramhacharya Purvardh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year2014
Total Pages482
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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