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________________ 'फाइल' के सामने सख़्ती (खं-2-९) २२१ जाता है, नीचे जाता है, ऊपर जाता है, नीचे जाता है। उसके विचार आते ही! वह तो अंदर निरी गंदगी भरी है, कचरा माल है। अंदर आत्मा की ही कीमत है! फाइल गैरहाज़िर हो और याद आती रहे तो बहुत जोखिम कहलाता है। फाइल गैरहाज़िर हो और याद नहीं आए, लेकिन उसके आते ही तुरंत असर हो जाए, वह सेकन्डरी जोखिम। तुम्हें उसका असर होने ही नहीं देना है। स्वतंत्र बन जाने की ज़रूरत है। उस समय अपनी लगाम टूट ही जाती है। फिर लगाम रह नहीं पाती न! लकड़ी की पुतली अच्छी एक यही गलती नहीं होनी चाहिए। फाइल हो और संडास करने बैठी हो और कहे कि धो दो। तो क्या कहेंगे? धो देते हैं सब? प्रश्नकर्ता : देखना ही अच्छा नहीं लगता तो धोना कैसे अच्छा लगेगा? दादाश्री : तू तो धो भी देगा क्या? चाटेगा भी? मुझे लगता है! वह संडास करती हुई दिखे और फिर तुझे धोने को कहे, 'वर्ना नहीं बोलूँगी' कहे तो? प्रश्नकर्ता : चलेगा, नहीं बोलेगी तो। दादाश्री : उस समय छोड़ देगा, तो आज ही छोड़ दे न? इसलिए कृपालुदेव ऐसा लिखते हैं, 'लकड़ी की पुतली तो अच्छी है।' उसमें से संडास नहीं निकलती। निरी गंध है यह तो! उसका मुँह देखो तो वह भी बदबू मारता है। भ्रांति चढ़ जाती है न इसलिए नशा चढ़ जाता है। तब भान नहीं रहता। इसलिए फिर घिन नहीं आती। प्रश्नकर्ता : सभी को इसका अनुभव है ही!
SR No.030109
Book TitleSamaz se Prapta Bramhacharya Purvardh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year2014
Total Pages482
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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