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________________ 'फाइल' के सामने सख़्ती (खं-2-९) २१९ वह फिर चले जाएँ और उसके बाद कुछ भी नहीं हो तो इसका मतलब उसे अभी तक फाइल नहीं बनाया है, अभी तक नई फाइल नहीं लाए हो। जबकि जिसके बारे में बार-बार विचार आते रहें, वह तो बाँधी हुई फाइल है, कितने ही केस हैं अंदर। प्रश्नकर्ता : पहले कभी भी मिले नहीं हों, पहचान नहीं हो, सिर्फ आधे घंटे की ही मुलाकात हो, वैसे। दादाश्री : उसी को फाइल कहते हैं। फाइल मतलब जो अपने दिमाग में घुस जाए। वे सब फाइल कहलाते हैं। प्रश्नकर्ता : यह तो भूत की तरह घुस गया है। दादाश्री : हाँ, भूत की तरह घुस जाता है। प्रश्नकर्ता : उसके उपाय में प्रतिक्रमण तो चल ही रहे है। दादाश्री : बस वही। दूसरा कोई उपाय नहीं है और वहाँ पर बहुत ही सावधान रहना पड़ता है, बहुत जागृति रखनी पड़ती है। तेरा ऐसा कुछ तो नहीं है न! प्रश्नकर्ता : तीन-चार दिन से वही विचार आ रहे हैं भूत की तरह, ऐसा पहले कभी नहीं हुआ। दादाश्री : वह तो बल्कि अच्छा है, तीन-चार दिन से, लेकिन हमारी मौजूदगी में आ रहे हैं न? यहाँ हमारे पास हो तब आ रहे हैं न? बहुत अच्छा, निबेड़ा आ जाएगा। निकल जाएगा। जब सत्संग नहीं हो और अकेले हों, तब अगर यह सब आए, तो फिर वे दूसरी कल्पना करेंगे। प्रश्नकर्ता : बुद्धि वापस ऐसी कल्पना करती है। लेकिन मैं हटा देता हूँ। दादाश्री : फिर दूसरी कल्पना करती है। प्रश्नकर्ता : शादी तक की।
SR No.030109
Book TitleSamaz se Prapta Bramhacharya Purvardh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year2014
Total Pages482
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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