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________________ २०२ समझ से प्राप्त ब्रह्मचर्य (पू) प्रश्नकर्ता : जबकि ज्ञानीपुरुष को स्पर्श करने से? दादाश्री : वह तो बहुत, वह कितने हाई लेवल का और असर होते-होते तो कितना समय बीत जाता है। प्रश्नकर्ता : या फिर मुझ में भी गलती हो सकती है न कि ये परमाणु तो एकदम आ रहे हैं। हमारे लिए लाभदायक हैं, यह बात शत प्रतिशत नक्की है। दादाश्री : वे लाभदायक ही हैं लेकिन इसका पता नहीं चलता! प्रश्नकर्ता : मुझे यह प्रश्न है कि इसका पता क्यों नहीं चलता? दादाश्री : उसका इतना स्थूल असर नहीं होता कि जो आपको पता चल जाए। क्या कहा? यह तो बहुत सूक्ष्म असर है और वह वाला तो स्थूल असर, आपको पता चल जाए ऐसा। इस बर्फ का तो छोटे बच्चे को भी पता चल जाता है। उसी तरह आप पर वैसे दूसरे असर हो जाते हैं। इस असर का पता नहीं चलता। लेकिन अंत में कुल मिलाकर यों अंदर निराकुलता रहती है। प्रश्नकर्ता : जैसा इस स्पर्श का है, वैसे ही जब दृष्टि मिलती है तब भी ऐसा होता है। दादाश्री : दृष्टि मिलती है तब भी ऐसा असर होता है। ऐसा है न, एक ही टेबल पर स्त्री-पुरुष सभी खाना खाते ज़रूर हैं। एक ही तरह का खाना खाते हैं, लेकिन स्त्री में स्त्री के परमाणुओं के रूप में तुरंत बदल ही जाते हैं। पुरुषों में पुरुष के हिसाब से परमाणु तुरंत बदल जाते हैं। बीज के स्वभाव के अनुसार होता है। प्रश्नकर्ता : लेकिन वे साथ में भोजन के लिए बैठते हैं, आहार एक ही तरह का लेते हैं, तो अंदर जाकर उन परमाणुओं के बदल जाने का कारण क्या है ?
SR No.030109
Book TitleSamaz se Prapta Bramhacharya Purvardh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year2014
Total Pages482
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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